बिहार सरकार ने बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से चालू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 9 चीनी मिलों को पुनः शुरू करने की मंजूरी दी गई है। इसके लिए मुख्य सचिव की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है जो मौजूदा बाधाओं की जांच कर समाधान करेगी।
बिहार में लंबे समय से बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से चालू करने की तैयारी तेज हो गई है। सरकार की हाल की बैठकों ने किसानों और स्थानीय लोगों के बीच एक बार फिर उम्मीद जगा दी है। राज्य सरकार अब उन मिलों को दोबारा शुरू करना चाहती है जो कभी किसानों की कमाई और रोजगार का बड़ा साधन थीं।
क्यों हुई थीं मिलें बंद?
करीब 25–30 साल पहले तक बिहार में चीनी मिलें किसानों की कमाई का मजबूत स्रोत थीं। गन्ना किसान अपनी पैदावार मिलों को बेचते थे और लाखों लोगों को रोजगार मिलता था। लेकिन समय के साथ कई मिलें बंद होती गईं और यह उद्योग धीरे-धीरे खत्म होने लगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा।
सरकार की बड़ी कार्रवाई
नई एनडीए सरकार के गठन के बाद इस मुद्दे पर तेजी से काम हो रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 9 बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू करने की मंजूरी मिली। इसके अगले ही दिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक टीम बनाई गई है, जो मिलों को शुरू करने में आ रही दिक्कतों की जांच करेगी और समाधान ढूंढेगी।
किन मिलों को मिल सकती है नई शुरुआत?
जिन चीनी मिलों को दोबारा शुरू करने की मंजूरी मिली है, उनमें समस्तीपुर, दरभंगा (सकरी इकाई और रैयाम इकाई), मुजफ्फरपुर (मोतीपुर इकाई), मढ़ौरा, बारा चकिया (पूर्वी चंपारण), चनपटिया (पश्चिम चंपारण), मोतिहारी, सासामूसा (गोपालगंज) शामिल हैं।इनमें से मोतिहारी और सासामूसा निजी क्षेत्र में हैं।
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राजनीति का बड़ा मुद्दा रहा है ये वादा
चीनी मिलों को चालू करने की मांग पिछले कई चुनावों में बड़ा विषय रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई रैलियों में इस मुद्दे पर वादा कर चुके हैं। अब सरकार की ताज़ा कार्रवाई को उन वादों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
किसानों को क्या फायदा होगा?
अगर ये मिलें फिर से चालू हो जाती हैं तो गन्ना किसानों को खेती का उचित दाम मिलेगा, राज्य में रोजगार बढ़ेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, युवाओं को नौकरी के अवसर मिलेंगे।बिहार में चीनी मिलों का दौर लौटेगा या नहीं, यह आने वाले महीनों में साफ होगा। लेकिन सरकार की सक्रियता ने किसानों में एक बार फिर उम्मीद जगा दी है कि शायद जल्द ही उनके खेतों से उगने वाली गन्ने की मिठास, उद्योग और रोजगार दोनों को जीवन दे पाए।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।