नीति आयोग के रमेश चंद ने कहा कि भारत का कृषि क्षेत्र आने वाले 10 साल तक आसानी से 4% की रफ्तार से बढ़ सकता है। लेकिन कृषि उत्पादों की मांग 2.5% ही बढ़ रही है, इसलिए उत्पादन बढ़ने के साथ बेहतर वेयरहाउसिंग और निर्यात को बढ़ावा देना जरूरी है। बढ़ते अनाज उत्पादन को सुरक्षित रखने और नुकसान रोकने के लिए देश में आधुनिक भंडारण प्रणाली को मजबूत करना होगा।
भारत के कृषि क्षेत्र में अगले 10 वर्षों तक 4% की स्थिर वृद्धि संभव है। यह बात नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने PHDCCI के कार्यक्रम में कही। उन्होंने बताया कि कृषि उत्पादों की मांग लगभग 2.5% की दर से बढ़ रही है, जबकि उत्पादन इससे ज्यादा तेजी से बढ़ेगा। ऐसे में या तो उद्योगों को ज्यादा कच्चा माल देना होगा या फिर निर्यात बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
वेयरहाउसिंग में निवेश की जरूरत
चंद के अनुसार, निर्यात को बढ़ाना भारत के लिए बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि चावल और गेहूं के लिए वेयरहाउसिंग समान होती है, लेकिन मक्का के लिए अलग तरीके की जरूरत होती है। वेयरहाउसिंग में निवेश बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि भारत में होने वाले अनाज का एक बड़ा हिस्सा खराब होने के कारण बर्बाद हो जाता है, जिसे सही भंडारण व्यवस्था के जरिए रोका जा सकता है।
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भंडारण क्षमता बढ़ाना क्यों जरूरी?
उन्होंने कहा कि अब आवश्यकता पड़ने पर ही Essential Commodities Act का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही बताया कि भंडारण क्षमता बढ़ाना देश के बफर स्टॉक, सालभर कीमतों की स्थिरता और खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।
भारत दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक
आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक और आठवां सबसे बड़ा निर्यातक है। 2024–25 में खाद्यान्न उत्पादन 354 मिलियन टन था, जो 2030–31 तक बढ़कर 368 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। बढ़ते उत्पादन को देखते हुए वैज्ञानिक भंडारण और पोस्ट-हार्वेस्ट सिस्टम को मजबूत करना जरूरी है, ताकि किसानों की आय बढ़ सके और अनाज की बर्बादी कम हो।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।