IIWBR ने गेहूं बुवाई के लिए सलाह दी है कि किसान अपनी बुवाई के समय के अनुसार सही किस्म चुनें, बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली सिंचाई करें और शुरुआती खरपतवार व दीमक नियंत्रण जरूर करें।
देशभर में रबी सीजन की गेहूं बुवाई इस समय तेजी पर है और कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस बार बुवाई में 127% की बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी दौरान ICAR–भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल ने 15 से 30 नवंबर तक किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। संस्थान ने कहा है कि सही किस्म का चुनाव, समय पर पहली सिंचाई और शुरुआती खरपतवार नियंत्रण फसल की पैदावार पर बड़ा असर डालते हैं। किसानों को चाहिए कि वे अपनी बुवाई की तारीख, पानी की उपलब्धता और स्थानीय मौसम के अनुसार प्रमाणित किस्में चुनें, जिससे गर्मी के झटकों, रोगों और उत्पादन में कमी के जोखिम को कम किया जा सके।
अक्टूबर में बुवाई करने वाले किसान ये करें
अक्टूबर में बुवाई करने वाले किसानों को सलाह दी गई है कि बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली सिंचाई अवश्य करें, खरपतवार नियंत्रण में देरी न करें और फसल की नियमित निगरानी करें ताकि दीमक और रोगों से शुरुआती नुकसान न हो। वहीं, नवंबर की शुरुआत में बुवाई करने वालों को उत्कृष्ट अंकुरण पर ध्यान देने और पहली सिंचाई की योजना पहले से बनाने को कहा गया है। जो किसान अब बुवाई कर रहे हैं, उन्हें 20 नवंबर तक बुवाई पूरी करने और समय पर बोई जाने वाली उच्च उत्पादक किस्मों को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है।
हर क्षेत्र के अलग किस्म
देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए IIWBR ने अलग-अलग किस्में सुझाई हैं। उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में HD 3386, PBW 826 और DBW 222 जैसी किस्में उपयुक्त मानी गई हैं, जबकि पूर्वी क्षेत्रों के लिए DBW 386, HD 3388 और HD 3411 जैसी किस्में अनुशंसित हैं। मध्य भारत एवं गुजरात क्षेत्र के लिए HI 1699, GW 513 और DBW 187 का सुझाव दिया गया है, वहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए WH 1306, DBW 443 और PBW 891 जैसी किस्मों की सलाह दी गई है।
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उर्वरक और बीज दर क्या होना चाहिए?
उर्वरक और बीज दर को लेकर भी IIWBR ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं। उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर मैदानी क्षेत्रों में 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर और 150:60:40 (N:P:K) उर्वरक मात्रा की सिफारिश की गई है, जिसमें एक तिहाई नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी दो हिस्से पहली और दूसरी सिंचाई में देने को कहा गया है। मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में भी 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर तथा 120:60:40 उर्वरक मात्रा की सलाह दी गई है।
खरपतवार नियंत्रण की सलाह
खरपतवार नियंत्रण को लेकर संस्थान ने चेतावनी दी है कि फलारिस माइनर जैसे खरपतवार तेजी से प्रतिरोधी हो रहे हैं, इसलिए बुवाई के 0–3 दिन के भीतर सही दवाओं का छिड़काव करना बहुत जरूरी है। सिंचाई के मामले में पहली सिंचाई को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है, क्योंकि इससे जड़ें मजबूत बनती हैं और कल्ले बढ़िया बनते हैं। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई का अंतराल वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधित करने की सलाह दी गई है।
जरूरी सलाह
दीमक प्रभावित इलाकों में बीज उपचार को अनिवार्य बताया गया है। क्लोरोपायरीफॉस, थियामेथोक्साम और फिप्रोनिल जैसी दवाओं से बीज उपचार लगभग 4.5 ml प्रति किलो बीज की दर से प्रभावी बताया गया है। IIWBR ने किसानों से कहा है कि इन सभी बातों का पालन करने से फसल सुरक्षित रहेगी और उत्पादन बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।