इस साल खरीफ फसलों की बुवाई क्षेत्र 1121 लाख हेक्टेयर से अधिक रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 6.5 प्रतिशत अधिक है। खासतौर पर मक्का और उड़द के बुवाई क्षेत्र में वृद्धि हुई है, जबकि कुछ तिलहन और दालों में मामूली कमी देखी गई। कुल मिलाकर मोटे अनाजों के बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी से उत्पादन और किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 3 अक्टूबर 2025 तक खरीफ फसलों की बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी का आंकड़ा जारी किया है। इस वर्ष खरीफ फसलों का कुल बुवाई क्षेत्र 1121 लाख हेक्टेयर से अधिक दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 6.5 प्रतिशत अधिक है।
चावल और दालों का क्षेत्रफल
चावल का बुवाई क्षेत्र इस साल 441.58 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष से 5.90 लाख हेक्टेयर अधिक है। दालों के बुवाई क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है, जिसमें तूर 46.60 लाख हेक्टेयर और उड़द 24.37 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया, जो क्रमशः 0.15 और 1.50 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्शाता है। कुल्थी, मूंग और मोथ बीन में थोड़ी कमी दर्ज की गई है।
मोटे अनाज और मक्का में बढ़ोतरी
मोटे अनाज का कुल बुवाई क्षेत्र इस वर्ष 194.67 लाख हेक्टेयर रहा। खासतौर पर मक्का का क्षेत्र 94.95 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 10.65 लाख हेक्टेयर अधिक है। ज्वार, बाजरा और रागी में मामूली कमी आई है।
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तिलहन और अन्य फसलें
तिलहन फसलों में कुल बुवाई क्षेत्र में हल्की गिरावट देखी गई है। हालांकि, मूंगफली, तिल और अरंडी के बीज में मामूली बदलाव के साथ सोयाबीन और सूरजमुखी में गिरावट आई है। गन्ने का बुवाई क्षेत्र इस वर्ष 59.07 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया। कपास का क्षेत्र थोड़ी कमी के साथ 110.03 लाख हेक्टेयर रहा।
कुल मिलाकर स्थिति
इस साल कुल खरीफ बुवाई क्षेत्र 1121.46 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.51 लाख हेक्टेयर अधिक है। मक्का और उड़द में बढ़ोतरी से मोटे अनाज उत्पादन में सुधार की उम्मीद है, जो स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।