रबी सीजन में खाद की बढ़ी मांग, सरकार के सामने चुनौती

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रबी सीजन में खाद की मांग 4% बढ़कर 37.87 मिलियन टन रहने का अनुमान है। इसमें यूरिया 19.61, डीएपी 5.34, एमओपी 1.57, कॉम्प्लेक्स 8.24 और एसएसपी 3.12 मिलियन टन की जरूरत होगी। पिछले साल की तुलना में यह मांग ज्यादा है। सरकार के पास अभी 3.25 मिलियन टन यूरिया स्टॉक है और अक्टूबर तक 2 मिलियन टन आयात की उम्मीद है।

खरीफ सीजन में किसानों को एक बोरी खाद के लिए लाठियां खानी पड़ी थीं। अब रबी सीजन में सरकार के लिए खाद की मांग पूरी करना और मुश्किल होगा। इस बार कुल मांग करीब 4% ज्यादा यानी 37.87 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 36.45 मिलियन टन थी।

किस खाद की कितनी मांग

पिछले साल की बिक्री के आंकड़े
रबी 2024-25 में (अक्टूबर-मार्च) खाद की बिक्री इस तरह रही थी।

  • यूरिया: 19.88 मिलियन टन
  • डीएपी: 5.02 मिलियन टन
  • एमओपी: 1.28 मिलियन टन
  • कॉम्प्लेक्स: 7.43 मिलियन टन

सरकार की तैयारियां

  • अभी यूरिया का स्टॉक 3.25 मिलियन टन है, जबकि अक्टूबर में मांग 3.97 मिलियन टन की है।
  • सरकार को अक्टूबर तक 2 मिलियन टन आयातित यूरिया मिलने की उम्मीद है।
  • पिछले साल अक्टूबर में 2.6 मिलियन टन यूरिया बना था, इस साल भी उतनी ही उत्पादन उम्मीद है।
  • अगस्त-सितंबर में 4 मिलियन टन यूरिया आयात की अनुमति दी गई थी, जिसमें से 1 मिलियन टन आ चुका है।

वैज्ञानिकों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि रबी फसलों (गेहूं, सरसों) में डीएपी की ज्यादा जरूरत होती है। चना और मसूर जैसी दलहन फसलें ज्यादा नाइट्रोजन नहीं मांगतीं। अगर थोड़ी कमी भी हो तो मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन से उसकी भरपाई हो सकती है। यूरिया की मुख्य खपत नवंबर से शुरू होगी।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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