केंद्र सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किया है, जिससे लगभग पांच लाख किसानों को लाभ मिलेगा। इससे मखाना उत्पादन, प्रोसेसिंग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। पिछले सालों में उत्पादन का क्षेत्र 13,000 से 35,224 हेक्टेयर तक बढ़ा है और राजस्व भी 3.83 करोड़ से 17.52 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। बोर्ड से किसानों की आय और रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे।
पटना। केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड (Makhana Board) के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इस कदम से बिहार के लगभग पांच लाख मखाना किसानों को सीधे लाभ मिलने की संभावना है। बोर्ड के गठन से मखाना प्रोसेसिंग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। देश में मखाने का लगभग 85 प्रतिशत उत्पादन बिहार करता है।
बिहार सरकार के प्रयासों से पिछले 12 वर्षों में मखाना उत्पादन के क्षेत्र में वृद्धि हुई है और उत्पादकता में सुधार आया है। वर्ष 2019-20 में शुरू की गई मखाना विकास योजना के तहत विशेष रूप से स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 की खेती को बढ़ावा दिया गया। योजना के अंतर्गत बिहार के 10 जिलों में मखाना उत्पादन का विस्तार हुआ और किसानों को भंडार गृह निर्माण, मखाना महोत्सव आयोजन जैसे अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती रही है। अब मखाना बोर्ड के गठन से किसानों की आय बढ़ाने के साथ कारोबार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
उत्पादन का रकबा तीन गुना बढ़ा
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम से यह रकबा बढ़कर 35,224 हेक्टेयर हो गया है।
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प्रमुख जिलों में मखाना का उत्पादन
बिहार में मखाना का उत्पादन मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जिलों में होता है।
राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि
मछली पालन के साथ मखाना उत्पादन में तेजी से वृद्धि के कारण उत्पादकों की आय बढ़ी है। वर्ष 2005 में मछली/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई। राजस्व में यह 4.57 गुना की वृद्धि दर्शाता है।बोर्ड के गठन से मखाना किसानों को नई तकनीक, प्रशिक्षण और बाज़ार तक बेहतर पहुँच मिलेगी, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।