खरीफ सीजन 2025-26 की दालें और तिलहन इस बार MSP से काफी कम दामों पर बिक रहे हैं। मूंग, उड़द और तूर औसतन 1,500–1,700 रुपये प्रति क्विंटल तक सस्ते हैं, वहीं मूंगफली और सोयाबीन भी MSP से नीचे बिक रहे हैं। कीमतें गिरने की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार और सस्ते आयात को माना जा रहा है। कर्नाटक और तेलंगाना ने सरकार से तुरंत खरीद शुरू करने और मात्रा सीमा खत्म करने की मांग की है।
देशभर की मंडियों में खरीफ सीजन 2025-26 की दालें और तिलहन इस समय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम दामों पर बिक रहे हैं। कई जगह कीमतें MSP से 1,000 से 1,700 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे चली गई हैं। ताजा फसल की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन दाम औसत MSP से काफी कम बने हुए हैं। अगर अक्टूबर मध्य तक आपूर्ति और बढ़ने के बाद भी यही स्थिति रही तो सरकार पर प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत खरीद बढ़ाने का दबाव आ सकता है।
किसका कितना है भाव?
मूंग का औसत भाव 7,220 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि MSP 8,768 रुपये है। उड़द 6,368 रुपये पर बिकी, जो MSP 7,800 रुपये से कम है। तूर (अरहर) की औसत कीमत 6,222 रुपये रही, जबकि MSP 8,000 रुपये तय है। वहीं मूंगफली का भाव औसतन 5,682 रुपये रहा, जबकि MSP 7,263 रुपये है। इसी तरह सोयाबीन 4,252 रुपये प्रति क्विंटल बिकी, जो MSP 5,328 रुपये से काफी नीचे है।
कीमतें क्यों गिरीं?
विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू बाजार की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से मेल नहीं खा पा रही हैं। सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए दालों और तिलहन के आयात पर जीरो या बहुत कम शुल्क रखा है। ऐसे में व्यापारी विदेशी बाजार से सस्ता माल मंगाना ज्यादा फायदे का मानते हैं, जिससे देशी फसलों की मांग कमजोर हो जाती है और कीमतें गिर जाती हैं।
ये भी पढ़ें – पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और किसानों की अपील
राज्यों की मांग
हाल ही में हुई रबी कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक और तेलंगाना ने केंद्र सरकार से खरीफ दालों और तिलहन की तुरंत खरीद शुरू करने और खरीद पर कोई मात्रा सीमा न लगाने की मांग की है।
उत्पादन पर संकट
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार खरीफ सीजन में तूर, मूंग, मोंठ और सोयाबीन का उत्पादन घट सकता है। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में भारी बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, तूर की बुआई 45,000 हेक्टेयर, मूंग 32,000 हेक्टेयर, मोंठ 40,000 हेक्टेयर और सोयाबीन 5.81 लाख हेक्टेयर कम रही है। हालांकि उड़द की बुआई 1.51 लाख हेक्टेयर और मूंगफली की 34,000 हेक्टेयर बढ़ी है। साफ है कि दाल और तिलहन की कीमतों में गिरावट और उत्पादन में कमी, दोनों मिलकर किसानों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन रहे हैं।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।