हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के देयंगल गांव के किसान भोपाल सिंह ने पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक तकनीक अपनाई और अपनी 7-8 बीघा जमीन से सालाना 12-15 लाख रुपये तक कमाई शुरू की। उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई, ट्रैक्टर, सीड ट्रांसप्लांटर, पावर स्प्रेयर जैसी मशीनों और सोलर उपकरणों का इस्तेमाल कर खेती को आसान और मुनाफेदार बनाया। भोपाल सिंह का मानना है कि खेती में सफलता के लिए स्मार्टवर्क जरूरी है।

“आप मेरा हाथ देखिए, ये सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली है हमे, मैं और मेरी पत्नी ने मिलकर बहुत मेहनत किया है।तब जाके ये सब कुछ हो पाया है। हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा ले रहे हैं। हमारा पक्का मकान। गाड़ियाँ हैं। सब है।”
– किसान भोपाल सिंह
खेती करना आसान काम नहीं
हिमाचल प्रदेश का पहाड़ी जीवन अपने आप में बेहद कठिनाइयों से भरा होता है। यहाँ खेती करना आसान काम नहीं है। शहर से दूर बसे गांव, ऊबड़-खाबड़ रास्ते, जंगली जानवरों का खतरा और प्राकृतिक आपदाओं का डर हमेशा किसानों के सामने चुनौती बनकर खड़ा रहता है।

“आज अगर किसान को सफल होना है, तो हार्ड वर्क नहीं बल्कि स्मार्ट वर्क करने की जरूरत है। मैंने खेती को एक तरह से पूरी तरह मशीनीकरण कर दिया है।” – किसान भोपाल सिंह
तकनीक ने बदली तस्वीर
इसी चुनौती भरे माहौल में शिमला जिले की सुन्नी तहसील के देयंगल गांव के किसान भोपाल सिंह ने अपने जज़्बे और मेहनत से मिसाल पेश की है। साल 2015 तक उनकी खेती भी पारंपरिक तरीकों पर आधारित थी और मुनाफा बहुत कम होता था। खेती के खर्च और मेहनत के बावजूद कमाई ना के बराबर थी। लेकिन जब उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाकर अपने खेतों में स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन लगवाया, तो खेती का चेहरा ही बदल गया। धीरे-धीरे उन्होंने खेती में कई प्रयोग किए और नई तकनीकें अपनाईं।

“पिछले 40 साल से मैं खेती कर रहा हूँ, जो बहुत मुश्किल भरा था। पारंपरिक था। लेकिन 2015 में मैंने एक कार्यक्रम में जैन सिंचाई के बारे में जाना। फिर बागवानी विभाग हिमाचल प्रदेश के मदद से खेत में लगवाया। तब से खेती काफ़ी आसान हुई है। और मुनाफा भी बढ़ा है।”
– किसान भोपाल सिंह
सालाना 12-15 लाख रुपये तक की कमाई
आज भोपाल सिंह अपनी 7-8 बीघा जमीन पर तरह-तरह की सब्जियां उगाते हैं और सालाना 12-15 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि खेती में सफल होने के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि स्मार्टवर्क की भी जरूरत है। इसी सोच के साथ वे हर काम में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। उनके पास ट्रैक्टर, सीड ट्रांसप्लांटर, नर्सरी ट्रांसप्लांटर, पावर स्प्रेयर, चेनसॉ, ग्रास कटर और पावर टिलर जैसी मशीनें हैं। खेत की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर इरिगेशन का उपयोग करते हैं। इतना ही नहीं, जंगली जानवरों से फसल बचाने के लिए उन्होंने सोलर चालित मशीन भी लगाई है।

“जब से जैन इरीगेशन सिंचाई सिस्टम लगाया है। एक तरह से मेरे जीवन में क्रांति आई है, जिसके बदौलत फसलों में अधिक उत्पादन, अच्छी गुणवत्ता और मुनाफा भी बढ़ा है।”
– किसान भोपाल सिंह
बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई
भोपाल सिंह मानते हैं कि अगर किसान को मुनाफा कमाना है तो उसे समय के साथ बदलना होगा और आधुनिक तकनीकों को अपनाना ही होगा। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता का ही नतीजा है कि उन्होंने न केवल खेती से बेहतर आय अर्जित की, बल्कि अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिलाई।

“मैं अन्य किसानों से भी यही कहना चाहूँगा की ये सब तकनीक से ही संभव हो पाया है। तो अगर आपको खेती में लागत घटानी है और मुनाफा बढ़ाना है तो तकनीक का इस्तेमाल आप भी कीजिए।”
– किसान भोपाल सिंह
राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई पुरस्कार मिले हैं
खेती में नए-नए प्रयोग और आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए भोपाल सिंह को राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे आज पहाड़ी इलाकों के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं, जिन्होंने यह साबित किया है कि सही तकनीक और स्मार्ट तरीके से खेती करके किसान भी लाखों रुपये कमा सकते हैं।

वीडियो देखिए –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।