सरकार ने 2025-26 के लिए अफीम खेती की नई लाइसेंसिंग नीति जारी की है। इस बार 1.21 लाख किसान शामिल होंगे, जो पिछले साल से 23.5% ज्यादा है। अच्छे उत्पादन वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि कम उत्पादन वालों के लाइसेंस निलंबित होंगे।
सरकार ने 2025-26 फसल वर्ष के लिए अफीम की खेती की वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की है। यह नीति मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों पर लागू होगी। इस बार करीब 1.21 लाख किसान अफीम की खेती का लाइसेंस पाएंगे, जो पिछले साल की तुलना में 23.5% ज्यादा है। इसमें 15,000 नए किसानों को भी शामिल किया गया है।
क्या है उद्देश्य?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकार का उद्देश्य दवाओं और पेनकिलर बनाने के लिए जरूरी अल्कलॉइड की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करना है। इसके लिए घरेलू स्तर पर प्रोसेसिंग क्षमता भी बढ़ाई जा रही है ताकि आयात पर निर्भरता कम हो।
ये भी पढ़ें – बारिश से पहले मिलेगी खबर, सरकार का अनोखा एआई मौसम कार्यक्रम
किन किसानों को मिलेगा फ़ायदा?
सरकार ने बताया कि जिन किसानों की पैदावार 900 किलो/हेक्टेयर या उससे ज्यादा रही है, उन्हें पारंपरिक तरीके से अफीम गोंद (opium gum) की खेती करने का विकल्प मिलेगा। इससे अधिक उत्पादन होगा और फसल के गलत इस्तेमाल का खतरा भी घटेगा।
वहीं, जिन किसानों ने पिछले साल (2024-25) न्यूनतम योग्यता उत्पादन (800 किलो/हेक्टेयर) पूरा नहीं किया, उनके लाइसेंस अगले साल (2025-26) के लिए रोक दिए जाएंगे।
मतलब ये है कि सरकार का मकसद अफीम की खेती को नियंत्रित तरीके से बढ़ावा देना, अच्छी पैदावार करने वाले किसानों को प्रोत्साहन देना और चिकित्सा क्षेत्र के लिए जरूरी अफीम की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।