इस साल खरीफ सीजन में धान उत्पादन घटकर 120-121 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 121.85 मिलियन टन था। ज्यादा बारिश, बाढ़ और यूरिया की कमी से नुकसान हुआ है। क्षेत्रफल 5% बढ़ने के बावजूद पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों में गिरावट की आशंका है, हालांकि यूपी और पश्चिम बंगाल में अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
इस खरीफ सीजन में देश का धान उत्पादन पिछले साल से कम रहने की संभावना जताई जा रही है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, 2025 में धान की पैदावार 120-121 मिलियन टन रह सकती है, जबकि 2024 में यह 121.85 मिलियन टन थी। अत्यधिक बारिश, बाढ़ और अगस्त में यूरिया की कमी को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है।
खेती का क्षेत्र बढ़ा, पर पंजाब में भारी नुकसान
धान का रकबा इस बार 5% बढ़कर 434.13 लाख हेक्टेयर हो गया है। उत्तर प्रदेश में बुवाई 13.5% बढ़ी है और उत्पादन 21 मिलियन टन तक पहुँचने का अनुमान है, जो पिछले साल से ज्यादा है। वहीं पंजाब में हालात गंभीर हैं। बाढ़ की वजह से उत्पादन में कम से कम 20% गिरावट की आशंका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यहाँ नुकसान 1-1.5 मिलियन टन से लेकर 6 मिलियन टन तक हो सकता है।
दक्षिण भारत और बंगाल से उम्मीदें
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में धान की स्थिति बेहतर है। कर्नाटक ने इस बार 4.64 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है। पश्चिम बंगाल, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, रिकॉर्ड पैदावार की ओर बढ़ रहा है। यहाँ 43 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जो लक्ष्य से ज्यादा है।
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तेलंगाना, महाराष्ट्र और बासमती की चुनौती
तेलंगाना में बारिश और यूरिया की कमी से 10-15% नुकसान की आशंका है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में भी बाढ़ ने असर डाला है। पंजाब और हरियाणा में बासमती धान प्रभावित होने से निर्यात पर भी असर पड़ सकता है।
कुल उत्पादन का अनुमान
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) का अनुमान है कि भारत का कुल धान उत्पादन (खरीफ, रबी और ग्रीष्म मिलाकर) 2025-26 में 151 मिलियन टन तक रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम सामान्य रहा, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।