मध्य प्रदेश में इस खरीफ सीजन में 23% अधिक बारिश के बावजूद कुल रकबा 1% घटा है। सोयाबीन, कपास और बाजरा जैसी फसलों का क्षेत्र घटा, जबकि किसानों ने मक्का और उड़द की बुवाई बढ़ाई। मक्का का रकबा 13% और उड़द का 40% बढ़ा है, जिससे कुछ राहत की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा मक्का और तिल उत्पादक है, इस साल खरीफ सीजन में मौसम की मार झेल रहा है। राज्य में अब तक सामान्य से 23% अधिक बारिश हुई है, लेकिन इसके बावजूद खरीफ फसलों की बुवाई का कुल रकबा पिछले साल की तुलना में 1% घट गया। वजह है जुलाई में हुई भारी बारिश, जो बुवाई के सबसे अहम समय में किसानों के लिए आफत बन गई।
बारिश का उलटा असर
किसान नेता केदार सिरोही के मुताबिक जून की अच्छी बारिश के बाद जुलाई में अत्यधिक वर्षा ने खेतों में पानी भर दिया, जिससे बुवाई देर से शुरू हुई। कई किसानों को मजबूरन सोयाबीन और कपास छोड़कर उड़द जैसी जल्दी पकने वाली फसलों की ओर रुख करना पड़ा। सिरोही ने आशंका जताई कि इस बार सोयाबीन, कपास, बाजरा और ज्वार जैसी फसलों में 5% से 17% तक गिरावट आ सकती है।
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आंकड़े क्या कहते हैं?
5 सितंबर तक राज्य में कुल खरीफ रकबा 139.87 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि पिछले साल यह 141.32 लाख हेक्टेयर था।
- सोयाबीन – 5% घटकर 51.20 लाख हेक्टेयर
- मूंगफली – 36.9% की गिरावट
- तिल – 31.2% की कमी
- कपास – करीब 10% कम
- मूंग, बाजरा और ज्वार में भी कमी
- मक्का – 13.1% बढ़कर 23.50 लाख हेक्टेयर
- उड़द – 40.3% बढ़कर 5.95 लाख हेक्टेयर
- अरहर (तुअर) – 12% की बढ़त
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि मक्का और उड़द जैसी फसलों में बढ़त से कुछ राहत जरूर मिलेगी, लेकिन सोयाबीन और कपास जैसी प्रमुख नकदी फसलों में कमी राज्य की कुल पैदावार और किसानों की आमदनी पर असर डाल सकती है। सितंबर के बाकी दिन खरीफ फसलों के भविष्य के लिए निर्णायक साबित होंगे।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।