नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर और 2047 तक उत्पादन दोगुना कर सकता है।2022 में 26.06 मिलियन टन उत्पादन हुआ था, जो 2030 तक 34.45 और 2047 तक 51.57 मिलियन टन पहुँच सकता है।इसके लिए क्लस्टर आधारित खेती, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, तकनीक और जलवायु अनुकूलन पर जोर दिया गया है। 2030 तक 3.79 मिलियन टन और 2047 तक 16.48 मिलियन टन अधिशेष दाल उपलब्ध होने की संभावना है।
नीति आयोग ने दाल उत्पादन को लेकर बड़ा रोडमैप जारी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर हो सकता है और 2047 तक उत्पादन को दोगुना कर सकता है। फिलहाल 2022 में देश में 26.06 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ था, जो 2030 तक 34.45 मिलियन टन और 2047 तक 51.57 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है।
दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए ये करना होगा
रिपोर्ट के मुताबिक, दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए कई रणनीतियां अपनानी होंगी। इसमें खास इलाकों में दालों की क्लस्टर आधारित खेती, हर क्षेत्र के हिसाब से नई तकनीकों का इस्तेमाल, किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और ट्रीटमेंट किट उपलब्ध कराना, ‘वन ब्लॉक वन सीड विलेज’ मॉडल लागू करना और बदलते मौसम को ध्यान में रखकर खेती करना शामिल है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बीज, चारा और बर्बादी मिलाकर करीब 11% दाल उत्पादन का हिस्सा इस्तेमाल हो जाता है। इसके बावजूद 2030 तक भारत में 3.79 मिलियन टन और 2047 तक 16.48 मिलियन टन का अधिशेष (सर्प्लस) दाल बच सकती है।
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सेहत के लिए भी अहम
साथ ही नीति आयोग ने लोगों की सेहत पर भी ध्यान दिलाया है। रिपोर्ट के अनुसार, दालों को पोषण का अहम स्रोत मानते हुए लोगों को इसके फायदे बताना और डाइट में शामिल करने की जागरूकता बढ़ाना ज़रूरी है। कुल मिलाकर, अगर सरकार और किसान मिलकर सुझाए गए कदम उठाते हैं, तो भारत दाल उत्पादन में न सिर्फ आत्मनिर्भर होगा बल्कि भविष्य में अधिशेष पैदा कर स्थायी खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित कर पाएगा।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।