पंजाब में बाढ़ की वजह से अब तक करीब 43 लोगों की मौत हो चुकी है, बाढ़ से लगभग 1,902 गांव प्रभावित हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तरी जिला गुरदासपुर है।
पंजाब चार दशकों में सबसे भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा है। लोग बता रहे कि, 1988 के बाद से ऐसी तबाही नहीं देखी थी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि, बाढ़ ने सभी 23 जिलों में बर्बादी मचाई, जिससे करीब 4 लाख लोग प्रभावित हुए। जबकि बारिश तो हर साल आती है। ऐसा भी नहीं हुआ कि, इस साल नदियां खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई हों। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पोर्टल में केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ संबंधी चेतावनी का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि, पंजाब की प्रमुख नदियां इस बाढ़ के दौरान ऐतिहासिक स्तर तो क्या गंभीर श्रेणी में भी नहीं पहुंची।

DOWN TO EARTH में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पोर्टल पर 27 अगस्त, 2025 की सिचुएशन रिपोर्ट में पंजाब के लिए ये लिखा गया, “पंजाब के पठानकोट में रणजीत सागर बांध से पानी छोड़ा गया और भारी बारिश ने रावी और व्यास नदी के जलस्तर को बढ़ा दिया, और इसके चलते पंजाब में गुरदासपुर, अमृतसर, फरीदकोट, बरनाला और कपूरथला यानी कुल पांच जिले बाढ़ से प्रभावित हो गए।”

रिपोर्ट की मानें तो 27 अगस्त तक प्रदेश के कुल 107 गांव प्रभावित हुए। रणजीत सागर बांध से लगभग 1,10,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। करीब 500 लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। सीमावर्ती जिलों में BSF की कई चौकियां भी बाढ़ से प्रभावित हुईं।
DOWN TO EARTH ने केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जो लिखा है, उसमें ये बताया गया है कि, जब केंद्रीय जल आयोग ये कहता है, ‘बाढ़ की स्थिति’ तो उसका मतलब होता है, नदी में पानी खतरे के स्थान को पार कर गया है।ऑरेंज अलर्ट का मतलब होता है, हालात और ज्यादा बिगड़ रहे हैं, जबकि एक्स्ट्रीम कंडीशन जिसे रेड अलर्ट में रखा जाता है, वो जलस्तर का ऐतिहासिक स्तर होता है। इसका मतलब होता है कि, उससे पहले कभी नदी में पानी का वो स्तर नहीं पहुंचा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक पंजाब में नदियों की गंभीर और अतिगंभीर दोनों ही स्थिति 1 अगस्त से 3 सितंबर के बीच नहीं पहुंची। जबकि मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय लोगों ने बताया कि बाढ़ जैसे हाहालत 14 और 15 अगस्त से ही बनने लगी थे, जिसका वीभत्स रूप 25 अगस्त से सामने आ गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाढ़ जैसे हालात बनने पर इससे कैसे निपटा जाएगा, इसको लेकर जो मीटिंग 5 जून, 2025 को हुई, जबकि ये फरवरी से अप्रैल के बीच ही हो जानी चाहिए थी। 22 जून को दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून ने पंजाब में दस्तक दिया और करीब दो महीने बाद पंजाब की प्रमुख चार नदियां सतलज, ब्यास, रावी और घग्गर में इस कदर सैलाब आया कि, हाहाकार मच गया।

अभी पंजाब के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में बाढ़ का पानी कम होना शुरू हो गया है। 4 सिंतबर को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब पहुंचकर नुकसान के आकलन और क्षतिपूर्ति के लिए मदद का आश्वासन दिया है। 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पंजाब में प्रभावित जिलों का जायजा लेने के लिए प्रदेश के दौरे पर जा सकते हैं।