पंजाब इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है, जहां 23 जिलों में 1,998 गांव प्रभावित हुए हैं और करीब 3.87 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। अब तक 46 लोगों की मौत दर्ज की गई है और लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। सबसे ज्यादा असर गुरदासपुर जिले में देखा गया, जहां लाखों लोग और हजारों हेक्टेयर खेती प्रभावित हुई है। राहत-बचाव कार्य तेज़ी से जारी हैं, लेकिन हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं।
पंजाब इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। राज्य सरकार के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1,998 गांव प्रभावित हैं। बाढ़ के कारण अब तक 3.87 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। सबसे बड़ी मार किसानों पर पड़ी है, क्योंकि लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर (करीब 4.3 लाख एकड़) कृषि भूमि पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है।
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
गुरदासपुर जिले में हालात सबसे गंभीर हैं। यहाँ 329 गांव प्रभावित हैं और लगभग 1.45 लाख लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं। अकेले इस जिले में करीब 40,000 हेक्टेयर खेत डूब गए हैं। वहीं अमृतसर जिले में भी लगभग 1.35 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं।
राहत और बचाव अभियान
अब तक 22,800 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जिनमें से 5,500 से ज्यादा लोग गुरदासपुर से निकाले गए। राज्य में कुल 219 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से 139 अभी सक्रिय हैं और करीब 6,000 से अधिक लोग इनमें रह रहे हैं। बचाव कार्यों के लिए 24 NDRF टीमें, सेना के कॉलम, 30 से ज्यादा हेलिकॉप्टर और 144 नावें तैनात की गई हैं।
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सीमा पर सुरक्षा चुनौती
बाढ़ का असर अंतरराष्ट्रीय सीमा तक भी पहुंचा है। पानी भरने से करीब 50 BSF पोस्ट और फेंसिंग के हिस्से डूब गए हैं। इसे देखते हुए सीमा पर ड्रोन, नाव और सर्चलाइट की मदद से निगरानी बढ़ाई गई है।
राजनीतिक और वित्तीय मोर्चा
पंजाब सरकार ने इस बाढ़ को पिछले 50 सालों की सबसे बड़ी आपदा करार दिया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि अब तक 4 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित, 1.72 लाख हेक्टेयर खेती बर्बाद और 43 से अधिक मौतें दर्ज हुई हैं। सरकार ने राहत के लिए 71 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। वहीं, केंद्र सरकार से ₹60,000 करोड़ के बकाये को लेकर नाराजगी भी जताई गई है। दिल्ली सरकार ने भी सहयोग स्वरूप 5 करोड़ रुपये की सहायता का ऐलान किया है।
बाढ़ के पीछे कारण
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध खनन को बाढ़ का एक बड़ा कारण बताया। उनके मुताबिक नदियों के किनारों पर खनन ने तटों की मजबूती को कमजोर कर दिया है, जिसके चलते पानी आसानी से गांवों तक घुस गया।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।