एथेनॉल उत्पादन में चीनी मिलों को मिली खुली छूट

एथेनॉल उत्पादन

भारत सरकार ने चीनी मिलों को गन्ने के रस, सिरप और शीरे से अपनी पसंद से एथेनॉल बनाने की आज़ादी दी है। इससे ज्यादा चीनी उत्पादन को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।अनुमान है कि 2025-26 में चीनी उत्पादन 18% बढ़ेगा, इसलिए 11 मिलियन टन चीनी को एथेनॉल बनाने में डायवर्ट करना होगा।

भारत सरकार ने चीनी मिलों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें यह आज़ादी दी है कि वे किस फीडस्टॉक से एथेनॉल बनाना चाहते हैं, यह खुद तय कर सकें। यानी अब मिलें गन्ने के रस, शुगर सिरप, बी-हेवी शीरा या सी-हेवी शीरे से बिना किसी रोकटोक के एथेनॉल उत्पादन कर सकती हैं। यह फैसला खास तौर पर इसलिए अहम है क्योंकि आने वाले सीज़न में देश में चीनी का bumper उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर सीधे तौर पर चीनी का उत्पादन घटेगा और देश में ज़रूरत से ज्यादा चीनी बनने से बचा जा सकेगा।

चीनी मिलों को खुली छूट
खाद्य मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि एथेनॉल सप्लाई ईयर 2025-26 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान उत्पादन का यह पूरा निर्णय मिलों के हाथ में होगा। साथ ही मंत्रालय समय-समय पर यह भी समीक्षा करेगा कि कितनी चीनी एथेनॉल में बदली जा रही है और घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चीनी बाज़ार में बनी रहे।

एथेनॉल की कीमत
इस समय तेल कंपनियां अलग-अलग फीडस्टॉक से बने एथेनॉल को अलग-अलग रेट पर खरीदती हैं। सरकार ने जो दाम तय किए हैं, उनके अनुसार –

18% बढ़ सकता है चीनी उत्पादन
इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने जुलाई में अनुमान जताया था कि 2025-26 सीज़न में देश की चीनी उत्पादन 18% बढ़कर 34.90 मिलियन टन तक पहुंच सकती है। इसलिए संगठन ने सरकार से चीनी निर्यात की अनुमति और 5 मिलियन टन चीनी को एथेनॉल उत्पादन में लगाने की मांग की थी।
बिज़नेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश की मिलों के पास सालाना 853 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन की क्षमता है। अगर पूरा गन्ने का रस एथेनॉल बनाने में लगाया जाए, तो करीब 1.1 करोड़ टन चीनी का डायवर्जन संभव है।

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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