भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) 15 सितंबर से अपना बीज वितरण पोर्टल खोलेगा। किसान इसमें पंजीकरण कर उन्नत किस्मों के गेहूं और जौ के बीज ले सकेंगे। बीज वितरण “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर होगा। गेहूं की DBW-187, DBW-372, DBW-327, DBW-371 और HD-3226 जैसी उच्च पैदावार और रोग-प्रतिरोधी किस्में किसानों को मिलेंगी। जौ की खेती करने वालों को भी नई किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी।
करनाल। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) का बीज वितरण पोर्टल 15 सितंबर से किसानों के लिए खोला जाएगा। इसके माध्यम से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों के किसानों को गेहूं और जौ की नई उन्नत एवं पोषणयुक्त किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।
संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने बताया कि खरीफ सीजन के बाद रबी सीजन में गेहूं और जौ की किस्मों का बीज वितरण करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। बीज लेने के लिए किसानों को पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पंजीकरण प्रक्रिया 12 सितंबर से शुरू होगी और इसके लिए किसानों को 40 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अग्रिम राशि जमा करनी होगी। बीज वितरण की शुरुआत अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से की जाएगी।
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बायोफोर्टिफाइड किस्में मिलेंगी
इस बार जौ की उन्नत किस्म डीब्ल्यूआरबी-386 किसानों को दी जाएगी। गेहूं की किस्मों में डीब्ल्यू-327, डीब्ल्यू-371, डीब्ल्यू-372, डीब्ल्यू-187 और डीब्ल्यू-137 उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही किसानों को बायोफोर्टिफाइड यानी पोषणयुक्त गेहूं की किस्म डीब्ल्यू-443 भी दी जाएगी, जो आयरन और जिंक से भरपूर है और मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है।
इन राज्यों को मिलेगा डीब्ल्यू-386 किस्म
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और अन्य पूर्वी राज्यों के किसानों को डीब्ल्यू-386 किस्म दी जाएगी, जो पीले रतुए, भूरे रतुए और पत्ती झुलसा जैसी गंभीर बीमारियों से मुक्त है। वहीं, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के किसानों को सूखा सहन करने वाली किस्में दी जाएंगी, जिनमें डीब्ल्यू-377, डीब्ल्यू-451, डीब्ल्यू-357, डीब्ल्यू-359 और डीब्ल्यू-443 शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों को भी उनकी मिट्टी और जलवायु के अनुसार बेहतर उत्पादन देने वाली किस्में उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस तरह आईआईडब्ल्यूबीआर का पोर्टल किसानों को उनकी जरूरत और क्षेत्र की परिस्थितियों के हिसाब से उन्नत, रोग-प्रतिरोधी और पोषणयुक्त किस्मों का चयन करने का अवसर देगा, जिससे न केवल पैदावार बढ़ेगी बल्कि पोषण की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।