हाई डेंसिटी फार्मिंग आधुनिक खेती की तकनीक है, जिसमें पौधों को कम दूरी पर ज़्यादा संख्या में लगाया जाता है ताकि कम ज़मीन से अधिक उत्पादन मिल सके। इसमें पौधों की छंटाई, आकार नियंत्रण, टपक सिंचाई और बेहतर किस्म के पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति से किसानों को जल्दी और बेहतर क्वालिटी की पैदावार मिलती है, जिससे मुनाफ़ा कई गुना बढ़ जाता है। इसका उपयोग आम, अमरूद, केला, संतरा और सब्ज़ियों की खेती में सबसे ज़्यादा होता है।
खेती हमेशा से मेहनत और लगन का काम माना गया है। लेकिन बदलते समय और नई तकनीकों ने खेती के तौर-तरीकों को भी बदल दिया है। इन्हीं आधुनिक तकनीकों में से एक है हाई डेंसिटी फार्मिंग (High Density Farming), जिसे हिंदी में घनी खेती कहा जा सकता है।
इस तकनीक में पारंपरिक खेती की तरह पौधों को दूर-दूर नहीं लगाया जाता, बल्कि कम दूरी पर ज़्यादा संख्या में पौधे लगाए जाते हैं। इसका मक़सद है कि खेत की हर इंच ज़मीन का पूरा इस्तेमाल हो और कम जगह में ज़्यादा उत्पादन लिया जा सके।
कैसे होती है हाई डेंसिटी खेती?
हाई डेंसिटी खेती में सिर्फ पौधे लगाना ही नहीं, बल्कि उनकी साइंटिफिक मैनेजमेंट भी ज़रूरी होता है।
पौधों के बीच की दूरी बहुत कम रखी जाती है।
पौधों की छंटाई (Pruning) और आकार नियंत्रण (Training) समय-समय पर की जाती है ताकि रोशनी और हवा हर पौधे तक पहुँच सके।
पानी और खाद देने के लिए टपक सिंचाई (Drip Irrigation) का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पौधों को ज़रूरत के हिसाब से पोषण मिले और बर्बादी भी कम हो।
साथ ही, बेहतर किस्म के पौधों और नई तकनीकों का चुनाव किया जाता है ताकि उत्पादन अधिक और गुणवत्तापूर्ण हो।
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फायदे क्यों हैं ज़्यादा?
हाई डेंसिटी फार्मिंग किसानों के लिए कई मायनों में फायदेमंद है, जैसे
कम जगह में ज़्यादा पैदावार मिलती है।
फलों और सब्ज़ियों की गुणवत्ता (Quality) बेहतर रहती है।
पारंपरिक खेती की तुलना में पौधे जल्दी फल देने लगते हैं, यानी किसान को जल्दी कमाई होती है।
खेत से होने वाला मुनाफ़ा कई गुना बढ़ जाता है।
हाई डेंसिटी फार्मिंग से बढ़ेगी आमदनी
हाई डेंसिटी फार्मिंग का इस्तेमाल खासतौर पर फलदार पेड़ों जैसे आम, अमरूद, सेब, केला, संतरा आदि की खेती में किया जा रहा है। साथ ही, सब्ज़ियों की खेती में भी इसका चलन बढ़ रहा है। यानी हाई डेंसिटी फार्मिंग सिर्फ खेती का एक तरीका नहीं, बल्कि किसानों के लिए नई उम्मीद और ज़्यादा आमदनी का जरिया बन गई है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।