इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने कहा कि भारत को अपने डेयरी सेक्टर की हर हाल में सुरक्षा करनी होगी क्योंकि यह सीधे 8 करोड़ परिवारों की आजीविका से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि 2047 तक भारत 628 मिलियन टन दूध का उत्पादन करेगा, जो वैश्विक उत्पादन का 45% होगा। सोढ़ी के मुताबिक किसानों की आय बढ़ाने का समाधान दूध के दाम बढ़ाने में नहीं बल्कि उत्पादन क्षमता में सुधार करने में है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत को दूध आयात करना पड़ा तो वैश्विक मांग अचानक 24% बढ़ जाएगी और कीमतें दोगुनी हो सकती हैं। इसलिए किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में भारत को अपने डेयरी सेक्टर की रक्षा करनी जरूरी है।
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने कहा है कि भारत को अपने डेयरी उद्योग की हर हाल में सुरक्षा करनी चाहिए, क्योंकि यह सीधे तौर पर 8 करोड़ परिवारों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा है। उन्होंने यह बयान हैदराबाद में आयोजित सीएलएफएमए वार्षिक सम्मेलन में दिया। सोढ़ी ने कहा कि अमेरिका में डेयरी सिर्फ बिजनेस है, जहां केवल 25 हजार बड़े किसान बचे हैं, जबकि भारत में करोड़ों छोटे किसान इस सेक्टर पर निर्भर हैं।
वैश्विक डेयरी व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा भारत से
सोढ़ी ने अनुमान लगाया कि 2047 तक भारत 628 मिलियन टन दूध का उत्पादन करेगा, जो दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 45% होगा। इसमें से करीब 100 मिलियन टन अधिशेष रहेगा और वैश्विक डेयरी व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा भारत से हो सकता है। उन्होंने कहा कि दूध के दाम लगातार बढ़ाना संभव नहीं है, क्योंकि अगर कीमतें बहुत बढ़ेंगी तो खपत कम हो जाएगी।
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उत्पादन बढ़ाना है समाधान
सोढ़ी के अनुसार, किसानों की आय बढ़ाने का तरीका दूध के दाम बढ़ाना नहीं, बल्कि उत्पादन बढ़ाना है। इसके लिए अच्छी नस्ल के पशु, बेहतर चारा और आधुनिक तकनीक की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चारे की लागत दूध उत्पादन का 70% होती है। अगर प्रति किलो चारा से अधिक दूध निकाला जाए तो किसान की कमाई बढ़ेगी और उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा।
आयात का खतरा और अमेरिका का दबाव
सोढ़ी ने चेतावनी दी कि अमेरिका कई देशों पर डेयरी उत्पादों के आयात का दबाव डाल रहा है। अगर भारत को दूध आयात करना पड़ा तो यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि एशिया और दक्षिण अमेरिका के देशों (जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन) के लिए भी खतरनाक होगा।
भारत अभी 240 मिलियन टन दूध का उत्पादन कर रहा है, जबकि वैश्विक दूध व्यापार सिर्फ 100 मिलियन टन का है। अगर भारत अपनी जरूरत का सिर्फ 10% भी आयात करता है, तो वैश्विक मांग अचानक 24% बढ़ जाएगी और दूध की कीमतें दोगुनी हो सकती हैं।
हर हाल में डेयरी सेक्टर की रक्षा करनी होगी
सोढ़ी ने कहा कि दूध की कीमतों में इस तरह की उथल-पुथल से सबसे ज्यादा असर एशियाई और दक्षिण अमेरिकी देशों पर पड़ेगा। इसलिए भारत को हर हाल में अपने डेयरी सेक्टर की रक्षा करनी होगी, ताकि किसानों की आजीविका और उपभोक्ताओं की जेब दोनों सुरक्षित रहें।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।