एपीडा (APEDA) पटना, रायपुर और देहरादून में नए रीजनल ऑफिस खोल रहा है ताकि कृषि निर्यातकों को मदद मिल सके। भारत का कृषि निर्यात 2024-25 में 50 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। एपीडा जीआई टैग वाले, ऑर्गेनिक और प्रोसेस्ड उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए खास कदम उठा रहा है। साथ ही, पैकेजिंग सुधार, शोध और किसानों को ट्रेनिंग देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा मजबूत की जा रही है।
एपीडा (APEDA), जो वाणिज्य मंत्रालय का हिस्सा है, अब पटना, देहरादून और रायपुर में अपने तीन नए रीजनल ऑफिस खोलने जा रहा है। इनका उद्देश्य कृषि उत्पादों के निर्यातकों को मदद देना और उनके शिपमेंट को आसान बनाना है। अभी तक एपीडा के देशभर में 16 दफ्तर हैं, जैसे बेंगलुरु, मुंबई, श्रीनगर, गुवाहाटी और भोपाल।
एपीडा का काम कृषि उत्पादों के निर्यात से जुड़ी उद्योगों का विकास करना, निर्यातकों का रजिस्ट्रेशन करना, क्वालिटी स्टैंडर्ड तय करना, पैकेजिंग सुधारना और मार्केटिंग में मदद करना है।
2024-25 में कृषि निर्यात 50 अरब डॉलर से ज्यादा
बिज़नेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का कृषि निर्यात 2024-25 में 50 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है। इसे और बढ़ाने के लिए एपीडा खास कदम उठा रहा है, जैसे जीआई टैग वाले उत्पादों को बढ़ावा देना, परंपरागत उत्पादों (जैसे अनाज और भैंस का मांस) का निर्यात बढ़ाना और नए उत्पाद (जैसे ऑर्गेनिक फसलें, प्रोसेस्ड फल और जूस) को प्रमोट करना।
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एपीडा इसपर कर रहा है काम
निर्यात को और मजबूत करने के लिए एपीडा जल्दी ख़राब होने वाले उत्पादों के लिए समुद्री प्रोटोकॉल तैयार कर रहा है, ताकि इन्हें सस्ते और टिकाऊ तरीके से विदेश भेजा जा सके। साथ ही, बाजरा और चावल से बने वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स पर शोध भी किया जा रहा है। पैकेजिंग को बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे शेल्फ लाइफ बढ़े और क्वालिटी बनी रहे। इसके अलावा किसानों और निर्यातकों को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के हिसाब से काम कर सकें।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।