उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ने राज्य की गन्ना समितियों और चीनी मिलों को रोग एवं कीट प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को ड्रोन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और दवाओं का छिड़काव करने के निर्देश दिए। राज्य में विभागीय अधिकारियों ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों से संपर्क स्थापित कर कुल 2046 बाढ़ प्रभावित ग्रामों का भ्रमण कर गन्ना फसल का जायज़ा लिया। किसान रोग नियंत्रण के लिए लाल सड़न रोग की रोकथाम हेतु कार्बेन्डाजिम 50 WP का छिड़काव करें अथवा रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर करें नष्ट ।
लखनऊ। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास वीना कुमारी की अध्यक्षता में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गन्ना फसल के संरक्षण एवं रोग नियंत्रण विषय पर मुख्यालय स्तर पर दैनिक अनुश्रवण बैठक कार्यालय सभागार में सम्पन्न हुई। इस बैठक में रोग व कीट से प्रभावित गन्ना फसल के आंकलन एवं त्वरित रोकथाम के लिए सभी परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारियों एवं चीनी मिलों के प्रबन्धक, केन मैनेजर, फील्ड स्टाफ को प्रतिदिन क्षेत्र भ्रमण करने के कड़े निर्देश दिये गये। अपर मुख्य सचिव ने प्रदेश के समस्त अधिकारियों को निर्देश दिया कि रोग व कीट से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों का दौरा कर किसानों को उचित सलाह के साथ रोग व कीट के नियंत्रण हेतु विभाग में उपलब्ध 200 ड्रोन से रासायनिक दवाओं का छिड़काव भी करायेंगे।
अपर मुख्य सचिव ने दैनिक अनुश्रवण बैठक में बताया कि विभागीय अधिकारियों द्वारा अब तक स्थानीय जन प्रतिनिधियों से संपर्क स्थापित कर कुल 2046 बाढ़ प्रभावित गन्ना ग्रामों का भ्रमण कर आख्या प्रस्तुत की गयी है, जिसमें गन्ना किस्म को. 0238 में 237 हेक्टेयर रेड रॉट, 3033 हेक्टेयर पोक्का बोइंग एवं 3,349 हेक्टेयर टाप बोरर से प्रभावित गन्ना फसल के उपचार हेतु विशेष अभियान चलाकर ड्रोन से रासायनिक दवाओं का छिड़काव कराने के लिए समस्त परिक्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित भी किया।
रासायनिक छिड़काव के लिए ड्रोन का करें इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि रोग व कीट से प्रभावित गन्ने में ड्रोन का इस्तेमाल कर रासायनिक छिड़काव अत्यधिक प्रभावी होता है, इसलिए गन्ना समितियां एवं चीनी मिलें प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को ड्रोन की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए दवाओं का छिड़काव करायें। जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गन्ना फसल के संरक्षण, रोग व कीट पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने प्रदेश की चीनी मिलों को भी निर्देशित किया कि बाढ़ से प्रभावित गन्ना फसल के संरक्षण व रोग से प्रभावी नियंत्रण के लिए किसानों के खेतों से जल निकास के उपरान्त चीनी मिलें दवाओं का ड्रोन से छिड़काव अनिवार्य रूप से करायेगीं ।
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गन्ना विकास विभाग की सलाह
प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी उ.प्र. मिनिस्ती एस. ने बताया कि हाल ही में आई बाढ़ एवं लगातार वर्षा के कारण कई क्षेत्रों में गन्ना फसल जलभराव से प्रभावित हुई है, जिससे गन्ने के पौधों की जड़ों में सड़न, गन्ने के गिरने तथा कीट व रोग संक्रमण की संभावना बढ़ गई है। गन्ना विकास विभाग गन्ने से आच्छादित जनपदों में समस्त गन्ना उत्पादक कृषकों को अपनी फसल की सुरक्षा एवं उत्पादकता बनाए रखने हेतु निम्नलिखित सावधानियाँ व उपाय अपनाने की सलाह देता है-
जल निकासी
खेतों में किसी भी प्रकार का जलभराव शीघ्र समाप्त करें।
आवश्यकतानुसार मेड़ तोड़कर अथवा नालियाँ बनाकर अतिरिक्त पानी बाहर निकालें।
गन्ना पौध की सफाई एवं देखभाल
गिरे हुए गन्ने को सहारा देकर खड़ा करें एवं 24 से 48 घण्टे के अन्दर गन्ने की पौध की बंधाई करें।
रोग नियंत्रण
लाल सड़न रोग की रोकथाम हेतु कार्बेन्डाजिम 50 WP का पर्णीय छिड़काव करें।
रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें, जिससे संक्रमण का प्रसार न हो सके।
कीट नियंत्रण
टॉप बोरर, रूट बोरर, सफेद मक्खी कीट, पोक्का बोइंग तथा अन्य हानिकारक कीटों के नियंत्रण हेतु विभाग एवं वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों का समय पर छिड़काव करें।
पोषण प्रबंधन
पौध की ताजगी एवं वृद्धि के लिए 2% यूरिया घोल का पर्णीय छिड़काव करें।
निरंतर निगरानी
07 से 10 दिन के अंतराल पर फसल की स्थिति की जाँच करें तथा किसी भी समस्या की स्थिति में निकटतम गन्ना विकास परिषदों / गन्ना समितियों अथवा जिला गन्ना अधिकारियों से तत्काल संपर्क करें।
गन्ना विकास विभाग कृषकों को आश्वस्त करता है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसल बचाव, रोग एवं कीट नियंत्रण हेतु तकनीकी परामर्श, आवश्यक रसायन एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश के सभी गन्ना किसान कीट व रोग के प्रभावी नियंत्रण हेतु अपने नजदीकी गन्ना समितियों, गन्ना विकास परिषदों, जिला गन्ना अधिकारी कार्यालयों में स्थापित हेल्पलाइन फोन नंबर पर सलाह हेतु संपर्क करें अथवा प्रदेश के मुख्यालय में स्थापित विभागीय टोल-फ्री नं0 18001213203 पर तत्काल सूचित कर सकते हैं।
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