बिहार देश में शाही लीची उत्पादन में 71 फीसदी, मखाना में 85 फीसदी, सब्जियों में 9 फीसदी और मक्का उत्पादन में 7 फीसदी का योगदान देता है. इसके बावजूद वर्ष 2023 में राज्य का कृषि-उद्यानिकी निर्यात मात्र 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो राज्य की क्षमता की तुलना में बहुत कम है. APEDA के नए क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से प्रमाणन, ट्रेसेबिलिटी, पैकहाउस मानकों जैसी प्रमुख खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी और वैश्विक बाजार में बिहार की पहचान बढ़ेगी.
बिहार के लिए, बिहार के किसानों और कृषि बिजनेस करने वालों के लिए यह अच्छी खबर है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने बिहार में अपना स्वतंत्र क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की मंजूरी दी है. आपको बता दें कि कृषि भवन, मीठापुर, पटना के परिसर में APEDA के कार्यालय की स्थापना की जा रही है.
कृषि मंत्री ने क्या कहा?
राज्य के कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि बिहार सरकार के निरंतर प्रयासों का ही यह परिणाम है कि APEDA का कार्यालय अब सीधे राज्य में काम करेगा. इससे किसानों, उत्पादक संगठनों (FPOs), प्रोसेसरों और निर्यातकों को प्रशिक्षण, प्रमाणन, पैकेजिंग, और निर्यात संबंधी अन्य सुविधाएं सुलभ रूप से उपलब्ध होंगी. इससे बिहार के कृषि और बागवानी उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छा दाम मिल सकेगा.
ये भी पढ़ें – आलू की कीमतों में भारी गिरावट से इस क्षेत्र को ₹10,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है: बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन
तीन वर्षों में 3 गुणा वृद्धि का लक्ष्य
मंत्री ने बताया कि पहले वर्ष में 50 एफपीओ को ऑनबोर्ड करना, 20,000 किसानों को निर्यात संबंधी प्रशिक्षण देना और 10 पैकहाउस का प्रमाणन करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, अगले तीन वर्षों में बिहार से कृषि निर्यात में 3 गुणा वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है.
APEDA क्या करता है?
APEDA भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुसार प्रमाणीकरण, क्वालिटी नियंत्रण और निर्यात योग्य बनाने में सहायता करता है. बिहार में स्थापित नया क्षेत्रीय कार्यालय इन सेवाओं को अब स्थानीय स्तर पर किसानों, FPOs और प्रोसेसरों तक सीधे पहुंचाएगा.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।