सरकारी आंकड़ों के मुताबिक केंद्र की विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत शुरू किए गए कुल 10,000 में से 1,100 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (FPO) संस्थाओं ने 1 करोड़ रुपये का कारोबार पार कर लिया है. एफपीओ योजना से जुड़े किसानों की संख्या 30 लाख के आंकड़े को पार कर गई है, जिनमें से लगभग 40% महिलाएं हैं.
FPO का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और छोटे किसानों को बाजार तक सीधी पहुंच, सौदेबाजी की शक्ति और बाजार पहुंच में सुधार करना है. इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 29 फरवरी, 2020 को की थी. योजना के तहत गठित होने वाले प्रत्येक नए एफपीओ को 5 वर्षों की अवधि के लिए सहायता देने और 3 वर्षों तक प्रबंधन लागत को पूरा करने के लिए 18 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है.
इसके अलावा, एफपीओ के प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपये तक का इक्विटी अनुदान और एफपीओ को इंस्टीट्यूशनल लोन आसानी से सुनिश्चित करने के लिए पात्र लेंडर्स संस्थानों से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट लोन की डेट गारंटी सुविधा भी इस योजना के तहत दी जाती है.
मशाला बोर्ड भी कर रहा है मदद
रिपोर्ट के मुताबिक अन्य मंत्रालय भी FPO के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में शामिल हो गए हैं. उदाहरण के लिए, मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए निर्यात विकास के लिए प्रगतिशील और सहयोगात्मक हस्तक्षेपों के माध्यम से मसाला क्षेत्र में स्थिरता के लिए योजना शुरू की है, जिसके तहत किसानों और किसान उत्पादक संगठनों को मसालों के उत्पादन, गुणवत्ता और निर्यात को बढ़ाने के लिए वैल्यू चेन में वित्तीय सहायता दी जाती है.
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6,865 करोड़ रुपए की लागत के साथ शुरू की गई थी योजना
यह योजना 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपए के बजट लागत के साथ शुरू की गई थी. योजना के शुरू होने के बाद से, 4,761 एफपीओ को 254.4 करोड़ रुपए का इक्विटी अनुदान जारी किया गया है और 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपए का डेट गारंटी कवर जारी किया गया है. किसान उत्पादक संगठन (FPO) पंजीकृत संस्थाएं हैं, जिनका गठन कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से सामूहिक लाभ उठाने के उद्देश्य से किया जाता है.
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।