उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में बाजरा खेती को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने बाजरा के संकर बीजों पर अनुदान देने के साथ ही फसल उत्पाद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने की बात कही है। योगी सरकार की यह पहल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसानों की आय बढ़ाने और रसायन-मुक्त पौष्टिक अनाज उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं और मक्का के बाद 10 लाख हेक्टेयर में होने वाली बाजरा खेती को संकर बीजों पर अनुदान और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के जरिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पहल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी। बाजरा फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बाजरा खेती से फायदा
जहां कम वर्षा के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती, किसानों के लिए उन क्षेत्रों में बाजरा की फसल लेना लाभदायक हो सकता है। यह फसल 80-85 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे नवंबर तक कटाई कर रबी की फसल बोई जा सकती है। बाजरा की फसल से 25-30 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है।
बाजरा की किस्में
| प्रजाति | पकने की अवधि | ऊचाई (सेमी० ०) | दाने की उपज कु०/हे० | सूखे चारे की उपज कु०/हे० | बाली के गुण |
| अं. संकुल | |||||
| आई.सी.एम.बी-155 | 80-100 | 200-250 | 18-24 | 70-80 | लम्बी मोटी |
| डब्लू.सी.सी.-75 | 85-90 | 185-210 | 18-20 | 85-90 | मध्यम लम्बी ठोस |
| न.दे.यफ.बी.-3 (नरेन्द्र चारा बाजरा-3) | 100-110 | 220-230 | 18-22 | 100-125 | लम्बी मोटी, मध्यम |
| आई.सी.टी.पी.-8203 | 70-75 | 70-95 | 16-23 | 60-65 | लम्बी ठोस |
| राज-171 | 70-75 | 150-210 | 18-20 | 50-60 | पतली/लम्बी |
| ब. संकर | |||||
| पूसा-322 | 75-80 | 150-210 | 25-30 | 40-50 | मध्यम ठोस |
| पूसा-23 | 80-85 | 180-210 | 17-23 | 40-50 | मध्यम ठोस |
| आई.सी.एम.एच.-451 | 85-90 | 175-180 | 20-23 | 50-60 | मोटा ठोस |
MSP मिलने से किसानों को राहत
योगी सरकार राजकीय कृषि बीज भंडारों के जरिए बाजरे की संकर प्रजातियों के बीजों पर अनुदान दे रही है, जिससे किसानों की लागत कम हो रही है। साथ ही, 2022-23 से बाजरा MSP पर खरीदा जा रहा है, जिससे किसानों को उचित मूल्य और अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
बुवाई से पहले क्या करें?
कृषि विभाग के मुताबिक बाजरा के लिए हल्की या दोमट बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। भूमि का जल निकास सही होना जरूरी है।पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा अन्य 2-3 जुताइयां देशी हल अथवा कल्टीवेटर से करके खेत तैयार कर लेना चाहिए। बाजरे की बुवाई जुलाई के मध्य से अगस्त से मध्य तक पूरा कर लें। 4-5 किलोग्राम प्रति हेक्टर बीज। यदि बीज उपचारित नहीं है तो बोने से पूर्व एक किग्रा० बीज को थीरम के 2.50 ग्राम से शोधित कर लेना चाहिए। अरगट के दोनों को 20 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोकर निकाला जा सकता है।
खाद का प्रयोग
कृषि विभाग के मुताबिक मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें। यदि परीक्षण के परिणाम उपलब्ध न हो तो संकर प्रजाति के लिए 80-100 किलोग्राम नत्रजन] 40 किलोग्राम फास्फोरस, एवं 40 किलोग्राम पोटाश तथा देशी प्रजाति के लिए 40-45 किग्रा० नत्रजन, 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हे० प्रयोग करें। फास्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहली बेसल ड्रेसिंग और शेष नत्रजन की आधी मात्रा टापड्रेसिंग के रूप में जब पौधे 25-30 दिन के हो जाने पर देनी चाहिए।
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छटनी (थिनिंग) तथा निराई-गुडाई
बाजरा की खेती में निराई-गुड़ाई का अधिक महत्व है। निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ ही आक्सीजन का संचार होता है जिससे वह दूर तक फैल कर भोज्य पदार्थ को एकत्र कर पौधों को देती है। पहली निराई जमाव के 15 दिन बाद कर देना चाहिए और दूसरी निराई 35-40 दिन बाद करनी चाहिए।
किसानों से कृषि विभाग की अपील
कृषि विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे खरीफ मौसम में भूमि की उपयुक्तता के आधार पर बाजरा खेती अपनाएं। सरकार की योजनाएं, जैसे बीज अनुदान और MSP, किसानों को अधिकतम लाभ दिलाने में मदद करेंगी। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि उत्तर प्रदेश को पौष्टिक और टिकाऊ खेती का केंद्र बनाएगी।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।