भारत में काली मिर्च की खेती के लिए सबसे बेहतर जगह तो समुद्र के आसपास वाले राज्य हैं। भारत में काली मिर्च के उत्पादन का 98 प्रतिशत हिस्सा अकेले केरल और कर्नाटक में होता है। इसके बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र के कोंकण के साथ ही नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में भी इसकी खेती की जाती है।
काली मिर्च जिसे अंग्रेजी में ब्लैक पेपर कहते हैं।शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां काली मिर्च का इस्तेमाल न होता हो। इसका इस्तेमाल ज़्यादातर सब्जियों और दूसरे पकवानों में टेस्ट बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है ये हरी-हरी दिखने वाली काली मिर्च काली कैसे हो जाती है ? आखिर इसका Process क्या है? इसकी खेती किस तरह की मिट्टी में संभव है? बुवाई का समय क्या है?
काली मिर्च की खेती के लिए किस तरह की जलवायु चाहिए?
काली मिर्च की खेती के लिए बारिश के साथ-साथ नमी बहुत ज़रूरी है। इसकी खेती के लिए पश्चिम घाट के उपपर्वतीय क्षेत्र , गरम और आर्द्र जलवायु को बहुत बेहतर माना जाता है। इसकी खेती उन्हीं जगहों पर हो सकती है जहां ना तो बहुत ज्यादा ठंड पड़ती हो और ना ही बहुत गर्मी। 20 डिग्री के आसपास का तापमान काली मिर्च की खेती के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। हालांकि ये उन जगहों पर भी हो जाती है, जहां का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस हो। काली मिर्च का पौधा मैक्सिमम 40 डिग्री तक का ही तापमान सहन कर सकता है। टमप्रेचर इससे ज्यादा होने पर पौधा मुरझा जाएगा। काली मिर्च के पौधों की बेहतर ग्रोथ के लिए 125-200 सेंटिमीटर बारिश आदर्श मानी जाती है।
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लागत बहुत कम
लागत की बात करें तो काली मिर्च मुफ्त की खेती है। इसमें ज्यादा लागत नहीं आती। एक बार लगा दिया तो एक पेड़ 15-16 सालों तक फल देता है। इस दौरान सिर्फ लताओं के रख रखाव की ही जरूरत पड़ती है। पौधे लगाते वक्त इसका ध्यान रखना जरूरी है कि दो पौधों के बीच की दूरी कम से कम 8-8 फीट की हो। इससे पौधों को बढ़ने में आसानी रहती है। काली मिर्च की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि एक हेक्टेयर में करीब 1600 से 1700 पेड़ ही लगाना बेहतर रहता है। खेती के दौरान प्रति पौधों पर 10-20 किलो तक गाय के गोबर से बनी खाद और वर्मी कंपोस्ट दिया जाता है।

सुखाने का प्रोसेस क्या है?
पेड़ से काली मिर्च की फलिया तोड़ने के बाद उसे सुखाने और निकालने में सावधानी बरती जाती है। दाने निकालने के लिए पानी में कुछ समय डुबाया जाता है और फिर सुखाया जाता है। इससे दानों को अच्छा रंग मिल जाता है। पौधों से फली तोड़ने के लिए थ्रेसिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है ताकि तोड़ने का काम तेज हो। शुरू में काली मिर्च की फली में 70 फीसद तक नमी होती है जिसे ठीक से सुखा कर कम किया जाता है। नमी ज्यादा होने पर दाने खराब हो सकते हैं।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।