बकानी रोग बासमती धान की फसल को प्रभावित करने वाला एक प्रकार का रोग है, जो धान उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को इससे निपटने के लिए समाधान बताया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक बकानी रोग खासकर पूसा बासमती 1121 और 1509 जैसी लोकप्रिय धान किस्मों को प्रभावित करता है। इस रोग के संक्रमण में उत्पादन काफी गिर जाता है। बकानी रोग के संक्रमण से पौधे की जड़ें सड़ जाती हैं और आखिर में पौधे सूख जाते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
बकानी रोग से संक्रमित धन मानव स्वास्थ्य के लिए है खतरनाक
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक बकानी रोग से निपटने के लिए ट्राइकोडर्मा एस्परेलम 2 प्रतिशत डब्ल्यूपी का प्रयोग किया जा सकता है। यह एक जैव-नियंत्रण एजेंट है जिसे हाल ही में केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड एवं पंजीकरण समिति ने मंजूरी दी है। आपको बता दें कि बकानी रोग का असर केवल पैदावार में गिरावट तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे धान के दानों में मायकोटॉक्सिन पैदा होते हैं, जो मानव और पशु स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक हैं।
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बीज और पौध उपचार से रोकथाम संभव
रोग से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने कुछ उपाय सुझाए है। नर्सरी या खेत में रोग से संक्रमित पौधों को तुरंत निकालकर जला दें, जिससे संक्रमण आगे न फैले। बीज की बुवाई से पहले प्रति किलो बीजों को 15 ग्राम टैल्क बेस्ड Trichoderma asperellum 2% WP से उपचारित करें। रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को 15 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 6 घंटे तक डुबोकर रखें।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस रोग का फफूंद बीजों में भी छिपा रह सकता है। ऐसे में रोग चक्र को तोड़ने के लिए बीज उपचार और खेत की स्वच्छता जरूरी है। संक्रमित पौधों को खेत से न हटाने पर रोग और अधिक फैल सकता है।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।