2025-26 में 52 लाख टन चावल से बनेगा एथेनॉल, OMSS के तहत गेहूं और चावल की बिक्री को लेकर नई पॉलिसी

इथेनॉल उत्पादन

केंद्र सरकार ने खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत सरकारी भंडारों से गेहूं और चावल की बिक्री को लेकर नई पॉलिसी की नोटिफिकेशन जारी की है. इसके तहत 2025-26 में इथेनॉल उत्पादन के लिए 52 लाख टन चावल आवंटित किया गया है. साल 2024-25 में भी इतना ही आवंटन किया गया था.

केंद्र सरकार ने गुरुवार को खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत सरकारी भंडारों से गेहूं और चावल की बिक्री को लेकर नई पॉलिसी की नोटिफिकेशन जारी की है. नई पॉलिसी के तहत गेहूं और चावल की आरक्षित कीमतों को बदला गया है. नई पॉलिसी के मुताबिक, सभी श्रेणियों के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य अब 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. पिछले साल यह कीमत 2,300 रुपये से 2,325 रुपये के बीच थी. 

इथेनॉल के लिए पुराने या टूटे हुए चावल का होगा इस्तेमाल
सरकार ने कहा है कि संभव हुआ तो इथेनॉल उत्‍पादन के लिए पुराने या टूटे हुए चावल (ब्रोकेन राइस) का इस्‍तेमाल किया जाएगा. ओएमएसएस पॉलिसी में राइस मिलिंग ट्रांसफॉर्मेशन स्कीम के तहत उत्पादित टूटा हुए चावल  यानी ब्रोकेन राइस की एक नई कैटेगरी जोड़ी गई है. अब निजी कंपनियों को ई-नीलामी के जरिए 2,320 रुपये प्रति क्विंटल की आरक्षित दर पर 1 नवंबर 2025 से ब्रोकेन राइस बेचा जाएगा. मुख्य रूप से ब्रोकेन राइस का इस्तेमाल डिस्टिलरी उद्योग में होगा.

1 नवंबर से खरीद सकेंगे चावल
नई पॉलिसी के तहत संस्थागत खरीदार अब 1 नवंबर से एफसीआई से 2,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चावल खरीद सकेंगे. राज्य सरकारें, उनकी एजेंसियां और सामुदायिक रसोईघर ई-नीलामी में भाग लिए बिना 2,320 रुपये प्रति क्विंटल की तय कीमत पर चावल खरीद सकेंगे. हालांकि, इनको उपलब्ध कराई जाने वाली मात्रा 36 लाख टन से घटाकर 32 लाख टन कर दी गई है.

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निजी मिलों को ‘भारत’ ब्रांड का चावल नहीं बेचेंगी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी सरकारी सहकारी संस्थाएं अब ‘भारत’ ब्रांड के तहत चावल 2,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 1 नवंबर 2025 से 30 जून 2026 तक बेच सकेंगी. यह दर उनके स्टोर, मोबाइल वैन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और प्रमुख खुदरा चैनलों पर लागू होगी. हालांकि, 1 जुलाई से इन संस्थानों को मिलने वाली 200 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी खत्‍म कर दी गई है. वहीं, मंत्रालय ने यह साफ किया है कि निजी मिलों को ‘भारत’ ब्रांड का चावल बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सिर्फ सहकारी संस्थाएं ही इस ब्रांड के तहत बिक्री कर सकेंगी.

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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