केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह जब रिटायर होंगे तो वेद, उपनिषद और प्राकृतिक खेती में अपना समय व्यतीत करेंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो कई प्रकार के फायदे देता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती अपनाई है और उत्पादन में लगभग डेढ़ गुना बढ़ोतरी देखी है.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से आई महिला सहकारी सदस्यों के साथ ‘सहकार संवाद’ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जब वह रिटायर होंगे तो अपना समय वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के बीच बिताएंगे. रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य, पर्यावरण और उत्पादन के लिहाज से बेहद फायदेमंद है. अपने खेतों में उन्होंने जब प्राकृतिक खेती अपनाई तो उत्पादन में लगभग डेढ़ गुना वृद्धि हुई. उन्होंने बताया कि इस दिशा में सरकार राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था बना चुकी है, जो प्राकृतिक उत्पादों की खरीद करेगी और निर्यात से हुए मुनाफे को सीधे किसानों के खाते में डालेगी.
ऊंट पालकों की आमदनी बढ़ाने पर हो रहा है काम
शाह ने कहा कि सहकारी डेयरी मॉडल को अब नया विस्तार दिया जा रहा है. गोबर प्रबंधन, पशु आहार, हेल्थ मैनेजमेंट और जैविक खाद, इन सभी पर एकीकृत योजना बन रही है. उन्होंने बताया कि सरकार ऐसे मॉडल पर काम कर रही है, जिसमें गांव के 500 में से 400 डेयरी किसान सहकारी संस्था से जुड़ें. इनसे गोबर लिया जाएगा, जैविक खाद और गैस बनाई जाएगी और पशुओं का वैक्सीनेशन भी सुनिश्चित होगा. कार्यक्रम में शाह ने जानकारी दी कि गुजरात और राजस्थान सरकार मिलकर ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर रिसर्च कर रही हैं. इसका मकसद ऊंट पालकों की आमदनी बढ़ाना है. उन्होंने बताया कि जब दूध की वैल्यू बढ़ेगी तो नस्ल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.
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PACS को इन सब से जोड़ा जाएगा
अमित शाह ने बताया कि पैक्स (PACS) को अब CSC, माइक्रो एटीएम, बैंकिंग सेवा, जन औषधि केंद्र और हर घर नल जैसी 25 से ज्यादा सेवाओं से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पैक्स को आय अर्जन के नए विकल्प अपनाने चाहिए और ग्रामीणों को सस्ती दर पर दवाएं देने के लिए जन औषधि केंद्र की सेवाओं को और विस्तार देना चाहिए.
तीन राज्यों में 10 और संवाद कार्यक्रम करेंगे शाह
मंत्री ने बताया कि अगर मक्का और दाल की खेती करने वाले किसान एनसीसीएफ ऐप पर पंजीकरण कराते हैं तो नाबार्ड और एनसीसीएफ किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का और दाल की खरीद कर सकते हैं और अगर किसान को बाजार में अधिक मूल्य मिल रहा है, तो वह अपनी फसल बाजार में बेच भी सकता है. अंत में उन्होंने कहा कि गृह मंत्री होना बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन जब उन्हें सहकारिता मंत्रालय मिला तो उन्हें लगा कि यह जिम्मा गृह मंत्रालय से भी बड़ा है, क्योंकि यह मंत्रालय गांव, गरीब, किसान और पशुपालकों के लिए काम करता है. उन्होंने घोषणा की कि वे तीन राज्यों में 10 और संवाद कार्यक्रम करेंगे और उनसे मिले सुझावों को मंत्रालय की नीति में शामिल किया जाएगा.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।