एक रिपोर्ट के मुताबिक बंपर फसल से ग्रामीण परिवारों और किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जून 2025 में 39.7% परिवारों ने वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि 44.8% को भविष्य में और आय बढ़ने की उम्मीद है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी(CMIE) ने एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें ये दावा किया गया है कि गाँवों में बंपर फसल उत्पादन से किसानों की आय एक साल पहले की तुलना में बढ़ी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात मई के 36.6 फीसदी से बढ़कर जून, 2025 में 39.7 फीसदी पहुंच गया है, जो मानते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति एक साल पहले से बेहतर हुई है। एक साल बाद आय और बढ़ने की उम्मीद करने वाले ग्रामीण परिवारों का अनुपात बढ़कर रिकॉर्ड 44.8 फीसदी पहुंच गया, जो मई में 38.5 फीसदी था।
इसके विपरीत, ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात जून में घटकर 9 फीसदी रह गया, जो मानते हैं कि एक साल में उनकी वित्तीय स्थिति खराब हुई है। एक साल बाद आय बढ़ने को लेकर निराशा जताने वाले परिवारों की हिस्सेदारी मामूली 1.8 फीसदी घटी है।
किसान सर्वाधिक आशावादी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल और जून के बीच बंपर फसल उत्पादन के कारण ग्रामीण परिवारों में वर्तमान एवं भविष्य में आय बढ़ने को लेकर आशावाद बढ़ा है। सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की उम्मीदों ने 2025 में खरीफ फसल अधिक रहने की उम्मीद बढ़ाई है, जिससे ग्रामीण आशावाद को और बढ़ावा मिला है। एक साल पहले के मुकाबले बेहतर वित्तीय स्थिति में रहने वाले किसान परिवारों का अनुपात 35.6 फीसदी से बढ़कर जून में 43.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। ऐसे किसान परिवारों की हिस्सेदारी भी 38.5 फीसदी से बढ़कर 52 फीसदी पहुंच गई है, जो मानते हैं कि अगले साल उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
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ग्रामीण, छोटे व्यापारी और मजदूर परिवार का कहना है कि
CMIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले करीब तीन-चौथाई छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मजदूर परिवारों की वित्तीय स्थिति एक साल पहले की तुलना में बेहतर हुई है। ऐसे ग्रामीण परिवारों का अनुपात 27.6 फीसदी से बढ़कर जून में 35.5 फीसदी पहुंच गया, जो मानते हैं कि उपभोक्ता टिकाऊ उत्पाद खरीदने का यह अच्छा समय है। इस अवधि में नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले परिवारों का अनुपात घटा है। ग्रामीण भारत में खरीदारी के इरादे में उछाल किसान परिवारों, छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मजदूर परिवारों में भी स्पष्ट रूप से देखा गया। अप्रैल-जून के बीच समग्र रूप से इन परिवारों का अनुपात 7 से 11 फीसदी बढ़ा है, जो इसे खरीदारी के लिए अच्छा समय मानते हैं।
CMIE क्या है?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी(CMIE), एक प्रमुख व्यावसायिक इन्फोर्मेशन कंपनी है। वर्ष 1976 में इसे मुख्य रूप से स्वतंत्र थिंक टैंक के रूप में स्थापित किया गया था। CMIE आर्थिक और व्यावसायिक डेटाबेस उपलब्ध कराता है और निर्णयन तथा अनुसंधान के लिये विशेष विश्लेषणात्मक उपकरण विकसित करता है। यह अर्थव्यवस्था में नित नए रूझानों को समझने के लिये डेटा का विश्लेषण करता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की हैं ।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।