आईसीएआर-सीआईएई द्वारा विकसित ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर, प्लास्टिक मल्च में उच्च मूल्य वाली फसलें जैसे खरबूजा, ककड़ी, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, हरी मटर, भिंडी, फलियाँ आदि लगाने के लिए उपयुक्त है।
ऊँचे क्यारियों का निर्माण, ड्रिप लेटरल और प्लास्टिक मल्च बिछाना और मल्च के नीचे बीज बोने का कार्य मैन्युअल रूप से करना कठिन होता है, जिसमें समय भी ज़्यादा लगता है और लेबर भी जिसमें लगभग 29 मानव-दिन/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। इन सभी कामों को एक साथ करने के लिए ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर विकसित किया गया है।
विशेषता
इस यंत्र में ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक प्रणाली का उपयोग करके हाइड्रोलिक मोटर (385 न्यूटन मीटर) तथा चेन-स्प्रोकेट ट्रांसमिशन सिस्टम के माध्यम से एक्सेंट्रिक स्लाइडर क्रैंक मैकेनिज्म संचालित किया जाता है, वहीं बीज मापने की इकाई में वैक्यूम ट्रैक्टर के पीटीओ से चलने वाले एस्पिरेटर ब्लोअर द्वारा तैयार किया जाता है।
एक्सेंट्रिक स्लाइडर क्रैंक मैकेनिज्म ड्राइविंग डिस्क की घूमने वाली गति को कनेक्टिंग रॉड के माध्यम से स्लाइडर क्रैंक में वर्टिकल गति में बदल देता है और पंच प्लांटिंग मैकेनिज्म के “D” प्रोफाइल को मिट्टी में खोलता है।
कैसे बुवाई करती है ये मशीन ?
प्न्यूमैटिक बीज मापने वाली प्लेट और एक्सेंट्रिक स्लाइडर क्रैंक मैकेनिज्म को इस प्रकार समकालिक किया गया है कि मापने वाली प्लेट द्वारा उठाया गया बीज बंद “प्लांटिंग जॉ” में डाला जाता है, जो बीज को पकड़े रखता है और स्लाइडर क्रैंक के माध्यम से प्लास्टिक मल्च में प्रवेश करने के बाद उसे छोड़ता है। यंत्र में कतार से कतार की दूरी 0.5 से 0.9 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 0.2 से 0.6 मीटर को यांत्रिक रूप से समायोजित करने की सुविधा है।
कार्य क्षमता क्या है?
यंत्र की प्रभावी कार्य क्षमता 0.2 हेक्टेयर/घंटा और कार्य कुशलता 74% है, जो 1.7 किमी/घंटा की गति और 1 मीटर कार्य चौड़ाई पर आधारित है।
लागत कितनी है?
यंत्र की कुल लागत ₹3,00,000/- और संचालन लागत ₹1500/घंटा है। इसका पेबैक पीरियड 1.9 वर्ष (444 घंटे) और ब्रेक-ईवन पॉइंट 70 घंटे/वर्ष है।
इसके फायदे
यह यंत्र मौजूदा ड्रिप लेटरल-कम-प्लास्टिक मल्च लेयर मशीन की तुलना में 26 मानव-दिन/हेक्टेयर (89%) और ₹6600/हेक्टेयर (43%) की लागत की बचत करता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।