अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना, औसतन उत्पादन 16 क्विंटल से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुआ

2012 तक राज्य में करीब 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती होती थी, जो अब बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. इसके साथ ही उत्पादकता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जहां पहले प्रति हेक्टेयर औसतन 16 क्विंटल उत्पादन होता था, वहीं अब यह बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है.

बिहार का मखाना देश के साथ साथ विदेशों में भी धूम मचा रहा है. सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले दस सालों में राज्य में मखाना की खेती का रकबा और उत्पादकता दोनों दोगुनी हो गई है. हाल ही में सुधा ब्रांड के तहत मखाना की पहली खेप अमेरिका भेजी गई है. मखाना उत्पादन में इस वृद्धि का श्रेय राज्य सरकार की मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना और मखाना विकास योजना को जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों को मखाना उत्पादन के बेहतर अवसर मिले हैं. इस समय राज्य के लगभग 25,000 किसान इस पारंपरिक लेकिन आर्थिक रूप से लाभकारी फसल से जुड़े हैं.

2022 में मिला था GI टैग
20 अगस्त 2022 को केंद्र सरकार द्वारा ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) मिलने के बाद इसकी ब्रांड वैल्यू और पहचान में जबरदस्त वृद्धि हुई है. इससे न केवल स्थानीय उत्पादकों को लाभ हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच आसान हो गई है.

इन जिलों में होती है खेती
फिलहाल दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जैसे 10 जिलों में मखाना उत्पादन प्रमुख रूप से होता है, लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती अब 16 जिलों तक विस्तारित की जा रही है. आज देश में कुल मखाना उत्पादन का 85 प्रतिशत अकेले बिहार से आता है.

25,000 किसान जुड़े हैं इसकी खेती से
मखाना उत्पादन में इस वृद्धि का श्रेय राज्य सरकार की मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना और मखाना विकास योजना को जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों को मखाना उत्पादन के बेहतर अवसर मिले हैं. इस समय राज्य के लगभग 25,000 किसान इस पारंपरिक लेकिन आर्थिक रूप से लाभकारी फसल से जुड़े हैं.

मखाना बोर्ड के गठन की तैयारी
बढ़ती वैश्विक मांग और निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार अब मखाना बोर्ड के गठन की तैयारी कर रही है. यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे खेती विस्तार, यंत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को एक दिशा देगा.
दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र और सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रजातियां जैसे ‘स्वर्ण वैदेही’ और ‘सबौर मखाना-1’ को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है. किसानों को इनके बीज दिए जा रहे हैं और फसल के प्रदर्शन कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा मखाना संग्रहण के लिए भंडारण गृहों के निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है. साथ ही राज्य और राज्य के बाहर मखाना की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है.

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *