तूफान के बाद आम की फसल को भारी नुकसान, यूपी में आंधी बारिश से चौतरफा तबाही

आम की फसल

बागपत से न्यूज़ पोटली के लिए पारस जैन की रिपोर्ट
बागपत, यूपी। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बुधवार देर शाम को आई अचानक तेज आंधी और तूफान ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई। करीब एक घंटे तक चली तेज हवाओं और बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया। तेज गति से चली हवाओं के कारण जगह-जगह बड़े-बड़े पेड़ जड़ से उखड़ गए, जिससे कई प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति बन गई। तूफान की चपेट में आकर बिजली के पोल और तार टूटकर गिर गए, जिससे विद्युत आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई और कई इलाकों में अंधेरा छा गया।

बता दे कि बागपत के बड़ौत क्षेत्र के बाजिदपुर गांव में तूफान की वजह से एक पेड़ गिरने से वहां बंधे गाय की मौत हो गई जबकि कुछ पशु गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें उपचार की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने बताया कि तेज हवा के कारण पेड़ सीधे उन पशुओं पर गिरा जो घेर में बंधे थे, जिससे तुरंत मौके पर ही उनकी जान चली गई।

आम के बागानों को हुआ भारी नुकसान
वहीं, बागपत के प्रसिद्ध रटौल गांव, मुबारिकपुर और आसपास के क्षेत्रों में आम के बागानों को भारी नुकसान पहुंचा है। किसान बेहद परेशान हैं क्योंकि उनकी तैयार आम की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। तेज हवा में हरे-भरे आम के पेड़ झुक गए या टूटकर गिर गए, और लाखों के आम जमीन पर बिखर गए। इन आमों को अब बाजार तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है जिससे आर्थिक नुकसान और अधिक बढ़ गया है। किसान चिंतित हैं कि पूरे साल की मेहनत पर पानी फिर गया है।

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बिजली व्यवस्था अस्त व्यस्त
बड़ौत नगर व देहात क्षेत्र में 20 से अ​धिक बिजली के पोल और विद्युत लाइन टूटकर गिर गई। जिससे तकरीबन 45 से अधिक गांवों की बिजली व्यवस्था धड़ाम हो गई। गुरुवार तड़के तक 70 फीसदी हिस्से की आपूर्ति तो सुचारू हो गई, लेकिन 30 फीसदी हिस्से की आपूर्ति अभी भी चौपट पड़ी हुई है। बड़ौत शहर के अलावा कोताना, लुहारी, मलकपुर, बावली, बिजरौल, बामनौली, लौहड्डा, गुराना, वाजिदपुर, जौहड़ी, अंगदपुर, बिनौली, बरनावा, संतनगर, रंछाड, जौनमाना, ढिकाना सहित नगर क्षेत्र में तकरीबन 20 से अ​धिक बिजली के पोल और विद्युत लाइन टूटकर गिर गई। पूरी रात लोग गर्मी से जूझते रहे और बिजली आपूति सूचारू कराने के लिए बिजली कर्मचारियों को फोन मिलाते रहे।

वही स्थानीय प्रशासन की ओर से नुकसान का आंकलन शुरू कर दिया गया है, लेकिन पीड़ित किसान और पशुपालक जल्द से जल्द मुआवजे की मांग कर रहे हैं ताकि वे इस प्राकृतिक आपदा से उबर सकें।

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