धान की सीधी बुवाई कैसे करें? बुवाई का सही समय और खेत की तैयारी समझें

धान की सीधी बुवाई

धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान की रोपाई न करके मशीन के द्वारा सीधे खेत में बुवाई की जाती है। धान की सीधी बुवाई से न के वल श्रम लागत में कमी आती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, जैसे मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी। साथ ही, फसल 7-10 दिन जल्दी पकने से किसान अगली फसल की तैयारी समय पर कर सकते हैं, जिससे फसल-प्रणाली के उत्पादन में सुधार होता है।

धान की सीधी बुवाई के बाद गेहूं की फसल में जीरो टिलेज विधि अपनाने से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को और कम किया जा सकता है। यह सिस्टम मिट्टी की उवर्रता बनाए रखने में मदद करती है और धान-गेहूं फसल चक्र सिस्टम को अधिक टिकाऊ बनाती है। इन तकनीकों का उपयोग करके किसान अधिक लाभदायक और पर्यावरण के प्रति सहनशील खेती कर सकते हैं।

बुवाई की विधि क्या है?
धान की सीधी बुवाई की तीन विधियाँ है

नम विधि / लेव विधि
इस विधि में, पहले से अंकुरित बीजों को
लेव (पडल) किए हुए खेत में बोया जाता है। इस विधि में, भविष्य में बुवाई के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है।

सूखे खेत में बुवाई
इस विधि में बुवाई की मशीन (बीज एवं उवर्रक ड्रिल) का उपयोग करके सूखे खेत में धान की बुवाई की जाती है। इसके बाद उसी दिन सिंचाई की जाती है और अगली सिंचाई 4-5 दिनों के अंतराल पर करनी पड़ती है।

पलेवा के बाद बुवाई/ वत्तर डीएसआर
इस विधि में बुवाई से पहले भारी सिंचाई (पलेवा) कर के जब खेत वत्तर/ निखार या जुताई करने की स्थिति में आ जाए तो उचित नमी पर खेत को अच्छी तरह से जुताई व पाटा लगाकर तैयार करने के बाद मशीन (बीज एवं उवर्रक ड्रिल) से बुवाई करते हैं। बुवाई करने के तुरंत बाद हल्का पाटा लगाना चाहिए, जिससे बीज और मिट्टी के बीच अच्छी संपर्क हो सके । इस विधि से बुवाई शाम के समय करनी चाहिए, जिससे नमी का कम से कम नुकसान हो। बुवाई केबाद पहली सिंचाई 15-21 दिनों के बाद तक की जा सकती है। यह गरमी और गरम हवाओं के चलने की गति पर निर्भर करता है।

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ये भी जानें
अगर किसान के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है और बारिश शुरू होने से पहले बुवाई करनी है तो वत्तर विधि सबसे उत्तम विधि है।
इस विधि का उपयोग करने से बुवाई के बाद दो तीन सप्ताह तक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साथ ही जंगली धान व खरपतवारों के जमाव में कमी आती है। पलेवा के बाद जब खेत जुताई के लिए तैयार हो जाए तो उस अवस्था को
वत्तर (ओट आना, निखार ) अवस्था कहते हैं।

खेत की तैयारी व बुवाई की विधि

बुवाई का समय : धान की सीधी बुवाई के लिए 20 मई से 30 जून तक का समय सही माना जाता है। लेकिन मानसून आगमन से 10-15
दिन पूवर् (मई के अंतिम सप्ताह से मध्य जून तक) का समय उत्तम है।

खेत का समतलीकरण : खेत का समतल होना बहुत ज़रूरी है। यह न के वल धान के अच्छे जमाव में सहायता करता है, बल्कि पानी की बचत और बेहतर पैदावार को भी सुनिश्चित करता है। खेत को समतल करने के लिए लेजर लैंड लेवलर का प्रयोग करना चाहिए।

बुवाई मशीन : धान की सीधी बुवाई के लिए बीज एवं उवर्रक ड्रिल मशीन जिसमें बीज गिरने के लिए इनक्लाइंड (झुकावदार) प्लेट लगी हो उसका ही प्रयोग करना चाहिए।

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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