गन्ने की फसल में बढ़ रहा है टॉप बोरर का प्रकोप, जानें रोकथाम के लिए वैज्ञानिक की सलाह

गन्ने की खेती

गन्ने की खेती उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक प्रमुख आय का स्रोत है। गन्ना एक नकदी फसल है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में गन्ने का उत्पादन सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में होता है। यहां 28.53 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर गन्ने की खेती होती है, जिस पर लगभग 839 कुंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है।

वर्तमान में किसानों ने ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई की हुई है। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान इन दिनों टॉप बोरर यानि चोटी बेधक कीट से बहुत परेशान हैं। टॉप बोरर की पहली पीढ़ी खेतों में बहुत ज्यादा संख्या में देखी जा रही है। पिछले 2-3 वर्षों में इस कीट ने फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। प्रशिद्ध गन्ना वैज्ञानिक पद्मश्री बक्शीराम यादव ने किसान को इससे बचाव के कुछ सुझाव दिए हैं।

ग्रसित कल्लों को 25 अप्रैल तक काटने की दी सलाह
डॉ. बक्शी राम ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, “ सबसे ज्यादा टॉप बोरर गन्ने की कोलख-14201, CO- 0238 प्रजातियों में दिख रहा है। फसल की बात करें तो ये पेड़ी, मुढ़ा या खूटी में दिख रहा हैं। जिन किसानों ने अपने खेतों से कीट ग्रसित कल्ले नहीं काटे हैं उनके लिए अंतिम 4 – 5 दिन का समय है। डॉ. बक्शी राम ने किसानों से ग्रसित कल्लों को 25 अप्रैल तक काटने की सलाह दी है। उन्होंने आगे कहा है कि कल्ले काटने का सीधा प्रभाव मई में आने वाली इस कीट की दूसरी पीढ़ी पर पड़ेगा। केवल रसायनों पर निर्भर नहीं होकर कीट ग्रसित कल्ले काटना ज़्यादा कारगर होगा।

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इस कीटनाशक का करें इस्तेमाल
गन्ना वैज्ञानिक ने लिखा कि आमतौर पर किसान भाई पेड़ी फसल में दानेदार कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। उन्होंने बताया है कि तरल कीटनाशक उदाहरण के लिए Coragen / CTPR) ज़्यादा लाभदायक रहेगा। अप्रैल के आखिरी सप्ताह से मई के पहले सप्ताह के दौरान 150 मिलीलीटर CTPR को 350 से 400 लीटर पानी में नोजल खोलकर कल्लो के पास मिट्टी में डालना चाहिए।
उन्होंने एक बार फिर किसानों से अपील की है कि वो किसी भी कीटनाशक का छिड़काव पत्तों पर नहीं करे ताकि टॉप बोरर के प्ररजीवी खेतों में जिंदा रहकर किसानों को लाभ पहुँचा सके।

बोरर कीट क्या है?
बोरर कीट तीन तरह के होते हैं। टॉप बोरर, शूट बोरर और रुट बोरर (जड़ भेदक)। गर्मी बढ़ने पर अक्सर इस कीट का प्रकोप फसल में बढ़ जाता है। गन्ना वैज्ञानिकों के मुताबिक इस कीट से बचाने में आईपीएम यानि इंट्रीग्रेटेड पेस्ट मैंनेजमेंट कारगर उपाय है। किसानों को अपने खेतों में शाम के वक्त लॉलटेन या फिर बिजली का बल्ब जलाना चाहिए। इसके अलावा फेरोमैन ट्रैप का इन कीटों के प्रबंधन में कारगर है। अगर खेतों में बल्ब के नीचे या फेरोमोन ट्रैप में ज्यादा कीट नजरा आएं तो 15-15 दिन के अंतर पर 2-3 बार सिस्टमिक इंसेक्टिसाइड का ही प्रयोग करें।
न्यूज पोटली पर गन्ने की खेती से जुड़ी कई दर्जन रिपोर्ट हैं, जिसमें गन्ना वैज्ञानिक, एक्सपर्ट और प्रगतिशील किसान शामिल हैं।
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