कृषि ड्रोन पर 141.39 करोड़ रुपये खर्च, मिट्टी की सेहत सुधारने पर काम कर रही सरकार

कृषि में ड्रोन को बढ़ावा

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण समाप्त होने को है, इस बीच कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल से जुड़े सवाल के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों द्वारा किसान ड्रोन अपनाने को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) के तहत, 2021-22 से 31 मार्च, 2025 तक, किसान ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए 141.39 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई।

मंत्री ने बताया कि इस खर्च में किसान ड्रोन की खरीद और 100 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), 75 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों और 25 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के माध्यम से किसानों के खेतों पर उनके प्रदर्शनों के आयोजन के लिए आईसीएआर को जारी किए गए 52.50 करोड़ रुपये शामिल हैं।
ठाकुर ने बताया कि आईसीएआर के संस्थानों ने 296 ड्रोन खरीदे हैं और इन संस्थानों ने मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए 30,235 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए पोषक तत्वों, उर्वरकों और कीटनाशकों के अनुप्रयोगों पर 27,099 ड्रोन का उपयोग किया है। किसानों को सब्सिडी पर 544 किसान ड्रोन की आपूर्ति और किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने के लिए 1595 किसान ड्रोन सीएचसी की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को धनराशि जारी की गई है।

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नमो ड्रोन दीदी को मंजूरी
उन्होंने बताया कि सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 3 वर्ष (2023-24 से 2025-26) की अवधि के दौरान 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ को मंजूरी दी है, ताकि उन्हें स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता दिया जा सके। प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके 2023-24 में एसएचजी की ड्रोन दीदियों को 1,094 ड्रोन वितरित किए हैं। ड्रोन दीदियों को वितरित किए गए इन 1,094 ड्रोन में से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत वितरित किए गए हैं। योजना के तहत शेष 14,500 ड्रोन वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

मिट्टी की जाँच के 70,002 कृषि सखियों को दी गई ट्रेनिंग
मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी किए जाते हैं। एसएचसी उर्वरक, द्वितीयक सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ जैविक खादों और जैव-उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं। मिट्टी के नमूनों को मानक प्रक्रियाओं के माध्यम से संसाधित किया जाता है और 12 मापदंडों अर्थात पीएच, विद्युत चालकता, कार्बनिक कार्बन, उपलब्ध नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों (जस्ता, कॉपर, आयरन, मैंगनीज और बोरोन) के लिए विश्लेषण किया जाता है।

एसएचसी मिट्टी की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी देती हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार के लिए उर्वरकों की उचित खुराक और प्रकार पर सिफारिशें करते हैं। वर्ष 2014-15 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक, देशभर में 24.90 करोड़ एसएचसी बनाए जा चुके हैं। इस योजना के तहत देशभर में 1068 स्थैतिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 163 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 6,376 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं बनायी गई हैं। किसानों को शिक्षित करने के लिए देशभर में करीब 7.0 लाख प्रदर्शन, 93,781 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम और 7,425 किसान मेले आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा, किसानों को एसएचसी को समझने में सहायता करने के लिए 70,002 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया है।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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