हाइड्रोपोनिक तकनीक भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है और किसानों को भी आकर्षित कर रही है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से बिना मिट्टी के ही सब्जियों को उगाया जाता है. यानी इस प्रकार की तकनीक के जरिये खेती करने के लिए मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती है. इसके जरिये बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए आधुनिक तरीके से खेती की जा सकती है. इस प्रकार की खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है.
ऐसा देखा गया है कि मिट्टी की गुणवत्ता लगातार गिर रही है जिससे कई रोग भी उत्पन्न हो रहे हैं और इन सब चीजों को देखते हुए पिछले कुछ सालों में भारत में खेती की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं. आजकल लोग अपनी छत या फिर बालकनी में फल या सब्जियां उगा रहे हैं. इस तरह से हाइड्रोपोनिक फार्मिंग काफी उपयुक्त तकनीक है. इस तकनीक के जरिये पौधे को लगाने से लेकर विकास तक के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का हाइड्रोपोनिक्स बाजार 2027 तक 13.53 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से विकसित होगा.
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क्या है हाइड्रोपोनिक्स?
हाइड्रोपोनिक्स “हाइड्रो” के प्राचीन ग्रीक से आता है, जिसका अर्थ है पानी, और “पोनिक्स”, जिसका अर्थ है श्रम. पानी यहां काम कर रहा है और पौधों की तेजी से वृद्धि कर रहा है. मिट्टी का उपयोग न करने और इसके बजाय परलाइट, कोको कॉयर, रॉक वूल, क्ले पेलेट्स, पीट मॉस या वर्मीक्यूलाइट जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करने की क्षमता ने हर जगह उत्पादकों को कई लाभ दिये हैं.
कम जगह में खेती का तरीक़ा
ऐसा बताया जाता है कि इस तकनीक से खेती करने के लिए लगभग 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. और इसमें 80 से 85 प्रतिशत नामी वाली जलवायु में सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है. हाइड्रोपोनिक सिस्टम में हम जिन पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं, वे विभिन्न स्रोतों से आ सकते हैं, जैसे मछली का मलमूत्र, बत्तख की खाद, या रासायनिक उर्वरक.
इस प्रकार की तकनीक से फार्मिंग के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके जरिये गोभी, पालक, तुलसी, शिमला मिर्च, इत्यादि कई अन्य सब्जियां और फलों का उत्पादन किया जा सकता है.
हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ
– मिट्टी रहित खेती
-स्थान का बेहतर उपयोग.
– वातावरण नियंत्रण.
– पानी की बचत.
– पोषक तत्वों का उपयोग.
– बेहतर विकास दर.
इसके अलावा हाइड्रोपोनिक सिस्टम में एवॉपोरेशन कम होता है, वे अधिक नियंत्रित होती हैं (अर्थात तापमान, नमी और वायु संरचना), तथा प्रदूषण और कचरा कम होने के कारण पर्यावरण के लिए बेहतर होती हैं।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।