धान और गेहूं के बाद मक्का खाद्यान्न की तीसरी प्रमुख फसल है. अब तो एथेनॉल के रूप में भविष्य में इसकी संभावनाएं और बढ़ गई हैं.
उत्तर प्रदेश में मक्के का रक़बा बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार किसानों को त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत प्रति क्विंटल बीज पर 15,000 रुपए की सब्सिडी दे रही है. इसमें संकर, देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न तथा स्वीट कॉर्न के बीज भी शामिल हैं. पर्यटक की अधिकता वाले क्षेत्र में देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की अधिक मांग है. इसलिए कार्यक्रम के तहत सरकार इनको भी बढ़ावा दे रही है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन को 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए तय अवधि में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है. इसके लिए रकबा बढ़ाने के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति क्विंटल उत्पादन बढ़ाने पर भी बराबर का जोर रहेगा.
8.30 लाख हेक्टेयर में होती है मक्के की खेती
अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. कुल उत्पादन करीब 21.16 लाख मीट्रिक टन है। प्रदेश सरकार की मदद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से सम्बद्ध भारतीय मक्का संस्थान भी कर रहा है. बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की. बेहतर उपज की बात करें या सहफसली खेती या औद्योगिक प्रयोग की. हर मौसम (रबी, खरीफ एवं जायद) और जल निकासी के प्रबंधन वाली हर तरह की भूमि में मक्के का जवाब नहीं.
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मक्के पर भी MSP
आने वाले समय में बहुपरकारी होने की वजह से मक्के की मांग भी बढ़ेगी। इस बढ़ी मांग का अधिकतम लाभ प्रदेश के किसानों को हो, इसके लिए सरकार मक्के की खेती के प्रति किसानों को लगातार जागरूक कर रही है। उन्हें खेती के उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी देने के साथ सीड रिप्लेसमेंट की दर को भी बढ़ा रही है। किसानों को मक्के की उपज का वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार पहले ही इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है.
‘मक्का‘ अनाजों की रानी
मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल मिलता है. इस लिहाज से मक्का की खेती कुपोषण के खिलाफ जंग साबित हो सकती है. इन्हीं खूबियों की वजह से मक्के को अनाजों की रानी कहा गया है. विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के जरिए मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है. प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले तमिलनाडु की औसत उपज 59.39 कुंतल है. देश के उपज का औसत 26 कुंतल एवं उत्तर प्रदेश के उपज का औसत 2021-22 में 21.63 कुंतल प्रति हेक्टेयर था। ऐसे में यहां मक्के की उपज बढ़ाने की भरपूर संभावना है.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।