केंद्र सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग की बैठक में किसानों ने फसलों के दाम और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर असहमति जताई है। अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि MSP को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बढ़ाया जाए। उन्होंने मांग की कि एमएसपी को सी2+50% फॉर्मूले पर तय किया जाए, जबकि मौजूदा एमएसपी इससे कम है, जिससे किसान नाराज हैं।
किसान संगठनों ने 2025-26 खरीफ सीजन के लिए फसलों की खरीद की गारंटी देने की भी मांग की। इस बैठक में धान, सोयाबीन और अन्य फसलों की कीमतों पर चर्चा हुई। केंद्र सरकार के अधीन संस्था कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी तय करने के दौरान किसान संगठनों ने विरोध किया। उनका कहना था कि मौजूदा एमएसपी सी2+50% फॉर्मूले से बहुत कम है।
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अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि अब तक जो MSP तय किया गया है, वह ए2+एफएल+50% फॉर्मूले पर आधारित है। लेकिन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, एमएसपी को सी2+50% के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
किसान संगठनों का कहना है कि फसलों के लिए तय किए गए MSP के कारण उन्हें कम दामों पर अपनी फसलें बेचनी पड़ रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। खासकर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को बाजार में 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दाम मिल रहे थे, जो बहुत कम थे। इससे किसानों में नाराज है।
किसान संगठनों का यह भी कहना है कि सरकार तय MSP कई बार इतना कम होता है कि किसानों को अपनी फसलें बाजार में तय दाम से भी कम पर बेचनी पड़ती हैं।
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सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा ने फिर से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की। उनका कहना था कि MSP का तय किसानों की अभी की हालातों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए, ताकि उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिले।