हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में किसानों को सशक्त और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं। खेती की लागत को कम करने, किसानों की आय और उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में ज़रूरी कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को रासायनिक खेती के ग़लत प्रभावों से बचाया जा रहा है। वहीं खेती की लागत कम होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। उन्होंने कहा है कि प्राकृतिक तरीक़े से उगाए हुए गेहूं को सरकार 4000 रुपये प्रति क्विंटल और मक्के को 3000 रुपये प्रति क्विंटल पर ख़रीदेगी।
35 हज़ार हेक्टर भूमि पर प्राकृतिक खेती
सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से कृषि लागत में औसतन 36 प्रतिशत की कमी आयी है और उत्पादाओं के औसतन 8 प्रतिशत दाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे 75 प्रतिशत किसान-बागवान फ़सल विविधीकरण की ओर आगे बढ़े हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी कृषि जलवायु क्षत्रों में किसान बागवान विविध फसलों और फलों को प्राकृतिक खेती से उगा रहे हैं। प्रदेश की 3592 पंचायतों में एक लाख 98 हज़ार किसान 35 हज़ार हेक्टर भूमि पर प्राकृतिक खेती से विविध फसलें उगा रहे हैं।
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गेहूं 40 और मक्का के लिए 30 रुपये किलो
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से 40 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मक्का खरीद कर एक मील का पत्थर हासिल किया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले से किसानों को गेहूं के 4000 रुपये प्रति क्विंटल दाम मिल रहा है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 से 1575 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है। जबकि, मक्का के लिए किसानों को 3000 रुपये प्रति क्विंटल का दाम दिया जा रहा है, जो केंद्र की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 से 775 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।
हर किसान खरीदेगा 20 क्विंटल मक्का
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक तरीके से खेती करके उगाई गई उपज को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने बाजार में हिम भोग हिम मक्की आटा लॉन्च किया है और प्राकृतिक खेती से मक्का उगाने वाले प्रति परिवार से 20 क्विंटल तक मक्का खरीदी जा रही है। इससे किसानों को एक स्थिर आय का भरोसा मिला है। प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बिक्री को सुव्यवस्थित करने के लिए 10 कृषि मंडियों में बुनियादी ढांचे को मॉडर्न बनाया जा रहा है।
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