जैविक खेती यानी Organic farming का चलन बढ़ रहा है। इसके उत्पाद बाज़ार में काफ़ी महँगे भी बिक रहे हैं इसलिए इस तरीक़े से खेती करने वाले किसानों को इससे अच्छी कमाई हो रही है। सरकार भी परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) के अंतर्गत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इसकी खेती करने वाले किसानों को 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता देती है।
पीकेवीवाई के तहत, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से, जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को ऑन-फार्म या ऑफ-फार्म जैविक खेती के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से तीन साल की अवधि के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाती है।
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आर्गेनिक खेती से अच्छी कमाई
राजस्थान के दौसा जिले के किसान रामजी लाल शर्मा से जैविक तरीक़े से खेती और बाग़वानी से अच्छी कमाई कर रहे हैं। उनके पास जैविक गेहूं के अलावा जैविक तरीके से उगाया गया बेल, मोरिंगा, जैविक मोसंबी, आंवला के पौधे भी हैं। जिन्हें वो प्रोसेस करके बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छी कमाई होती है। इतना ही नहीं वह आंवले का मुरब्बा, कैंडी के साथ बेल का मुरब्बा और सूखी गिरी भी बेचते हैं।
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उनके मुताबिक उनके बाग के बेल का वजन 3 किलो तक होता है। मोरिंगा की वो फली, फूल और पत्तियां पाउडर बनाकर बेचते हैं, जिसके लिए उन्होंने अपने यहां खास तरह का सोलर ड्रायर भी लगाया है, जिसकी कीमत 5 लाख रुपए है।
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पशुपालन का लाभ
इसके अलावा रामजी लाल शर्मा पशुपालन का काम भी करते हैं। उन्होंने 150 टन की वर्मीकंपोस्ट यूनिट और केंचुओं की हैचरी भी बनायी हुई है, खाद बेचकर उन्हें अच्छी कमाई होती है।
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सब्सिडी का मिला फ़ायदा
वो बताते हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा फायदा मिला है। वर्मी कंपोस्ट यूनिट पर 50 हजार, सोलर पर 4 लाख रुपए से ज्यादा, फ़ार्म पौंड, रुरल गोदाम से लेकर बागवानी और Drip Irrigation तक पर पूरी छूट मिली है। वो कहते हैं हर किसान को सरकार की योजनाओं का फायदा उठाना चाहिए और अगर खेती से कमाई करनी है तो जैविक खेती करना चाहिए।
वो किसानों को अपने उत्पाद की ख़ुद ही मार्केटिंग करने की सलाह भी देते हैं।
देखिए उनकी पूरी कहानी-