उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका से भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का लक्ष्य होगा साकार

NABARD

उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और सहकारिता मंत्री जे. पी. एस. राठौर ने 12 फरवरी 2025 को लखनऊ के गोमती नगर स्थित होटल हयात रीजेंसी में आयोजित नाबार्ड के राज्य ऋण संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य के लिए स्टेट फोकस पेपर 2025-26 जारी किया। मंत्री जे. पी. एस. राठौर ने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका के साथ साकार किया जा सकता है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 की मेजबानी के बाद, राज्य ने केवल एक वर्ष की छोटी अवधि में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 14,000 से अधिक परियोजनाओं को लागू किया, जबकि 6.0 लाख करोड़ रुपये से अधिक के MOU प्रक्रिया में हैं।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, नाबार्ड राज्य के लिए credit potential का आकलन करने हेतु प्रत्येक वर्ष स्टेट फोकस पेपर तैयार करता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए, इस शीर्ष विकास वित्त संस्थान ने उत्तर प्रदेश के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के तहत 7.69 लाख करोड़ रुपये की credit potential का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के अनुमान से 34% अधिक है। आगामी वर्ष में कृषि के लिए credit potential 2.77 लाख करोड़ रुपये और MSME के लिए 4.46 लाख करोड़ रुपये आकलित की गई है। अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए 0.46 लाख करोड़ रुपये की potential का अनुमान लगाया गया है, जिसमें आवास ऋण के लिए 0.21  लाख करोड़ और निर्यात ऋण के लिए 0.06 लाख करोड़ शामिल हैं।

अपने स्वागत भाषण में पंकज कुमार, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा बतया गया कि राज्य फोकस पेपर में निर्धारित अनुमान राज्य के सभी 75 जिलों के लिए जमीनी स्तर पर आकलित की गई potential का एकत्रीकरण है और राज्य फोकस पेपर के आधार पर, 2025-26 के लिए राज्य की वार्षिक ऋण योजना को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एस.एल.बी.सी) द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा।

कृषि और MSME क्षेत्रों को ऋण देने पर अधिक ध्यान दिया जाए
सीजीएम नाबार्ड ने आज मनाई जा रही संत रविदास जयंती के महत्व पर प्रकाश डाला, साथ ही इसके सामाजिक उत्थान में योगदान को रेखांकित किया, जो राज्य फोकस पेपर (SFP) के उद्देश्य से मेल खाता है। पिछले वर्ष, वार्षिक ऋण योजना (ACP) 2024-25 का SFP 2024-25 के साथ समायोजन 90.30% रहा । एस.एल.बी.सी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ए.सी.पी लक्ष्यों का एस.एफ.पी के साथ सक्रिय समन्वय हो, जिसमें कृषि और MSME क्षेत्रों को ऋण देने पर अधिक ध्यान दिया जाए, ताकि राज्य सरकार के $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के साथ संरेखण हो सके। उन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न पहलों, जैसे एग्री स्टैक, यूपी-एग्रीज आदि का उल्लेख किया, जो कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए हैं, और साथ ही सीएम-युवा जैसी योजनाओं के माध्यम से MSME क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर प्रदेश में ऋण प्रवाह मुख्य रूप से फसल उत्पादन की ओर केंद्रित है, जबकि कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने ऋण की कमी से जूझ रहे जिलों में सीडी अनुपात में सुधार लाने, केसीसी के पूर्णतया डिजिटलीकरण और संतुलित विकास हासिल करने के लिए ऋण प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता को दूर करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ।

यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के बाद निवेश में वृद्धि
अपने संबोधन में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढांचे, व्यापार करने में आसानी और कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 की मेजबानी के बाद, राज्य ने केवल एक वर्ष की छोटी अवधि में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 14,000 से अधिक परियोजनाओं को लागू किया, जबकि 6.0 लाख करोड़ रुपये से अधिक के MOU प्रक्रिया में हैं। दावोस में WEF समिट में हाल ही में 19,000 करोड़ के लिए हुए MOU राज्य में MSME की बढ़ती वृद्धि की निरंतर प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश अब एक प्रगतिशील राज्य बन चुका है, जिसकी औद्योगिक वृद्धि तेलंगाना से अधिक है।

मंत्री ने उल्लेख किया कि बुनियादी ढांचा प्रमुख रोजगार सृजन क्षेत्रों में से एक है और केंद्र और राज्य सरकारें इस क्षेत्र में अपने खर्च को निरंतर बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि 2029 तक राज्य में 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता क्षेत्रों में उच्च वृद्धि की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश समावेशी विकास की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा
बैंकों को कृषि से जुड़े क्षेत्रों जैसे कि कृषि मशीनीकरण, वृक्षारोपण, मत्स्य पालन, पशुपालन, भंडारण/विपणन यार्ड आदि के लिए नाबार्ड द्वारा आकलित की गई ऋण क्षमता का संज्ञान लेना चाहिए, ताकि पूंजी निर्माण हो सके और बैंकों द्वारा किए गए अनुमानों को पूरा करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा सके। बैंकों को फसलों की संपूर्ण मूल्य-श्रृंखला का समर्थन करने का भी प्रयास करना चाहिए, ताकि किसानों को अंत-से-अंत तक हस्तक्षेप उपलब्ध हो सके। उन्होंने बैंकों से राज्य में ऋण जमा (सीडी) अनुपात में सुधार करने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह रेखांकित किया कि उत्तर प्रदेश अब स्थायी और अधिक समावेशी विकास की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है और इस दौड़ में जीत हासिल कर रहा है।

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2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य में उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका
विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित सहकारिता मंत्री जे. पी. एस. राठौर ने उत्तर प्रदेश में कृषि और सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने में नाबार्ड के योगदान की सराहना की। मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका के साथ साकार किया जा सकता है। उन्होंने राज्य में सहकारी समितियों और पैक्स को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। मंत्री ने उल्लेख किया कि पहले कमजोर रही 16 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs) में से 14 अब लाभ में आ चुके हैं, और यह अपेक्षित है कि 31 मार्च 2025 तक सभी DCCBs लाभ में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार 10 लाख रुपये की कैश क्रेडिट (सी.सी)  सीमा पर 6000 पैक्स के लिए ब्याज दर वहन करेगी। 
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की विभिन्न पहलों, जैसे पैक्स सदस्यता अभियान, पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना, पैक्स को बहुद्देशीय सेवा केंद्र  के रूप में विकसित करने की योजना पर प्रकाश डाला, जो राज्य में सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। सहकारिता मंत्री ने सहकारी बैंकों  के लिए तकनीकी उन्नयन और साइबर सुरक्षा समय की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए अपना उदबोधन समाप्त किया ।

नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की
आलोक कुमार, आई.ए.एस, प्रमुख सचिव, योजना, ने राज्य फोकस पेपर तैयार करने में नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की, जो एक व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने बैंकों से विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड जैसे ऋण-संकटग्रस्त क्षेत्रों में सीडी अनुपात (क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात) में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। बैंकों को मार्च 2025 तक 60 से 65% का सीडी अनुपात प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने नाबार्ड और आरबीआई से योजना निर्माण में सहयोग देने और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग के लिए क्षेत्रवार और जिला-वार ऋण वितरण एवं उधारकर्ताओं की ऋण क्षमता का विश्लेषण प्रदान करने का अनुरोध भी किया।

राज्य सरकार के अधिकारियों, भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण आधारभूत ढांचे के विकास, वित्तीय समावेशन, जलवायु परिवर्तन, सहकारी क्षेत्र की वृद्धि आदि जैसे विभिन्न विषयों पर बात की गई। कार्यक्रम का समापन नाबार्ड की उप महाप्रबंधक डॉ. नंदिनी घोष के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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