Reliance Industry लगभग सभी क्षेत्रों में काम कर रही है. और अब कृषि क्षेत्र में भी. देश में पराली एक बड़ी समस्या है. किसानों के लिए, सरकार के लिए और प्रदूषण की दृष्टि से आम जनता के लिए भी. हर साल पराली जालने से तेज़ी से प्रदूषण बढ़ने की समस्या होती है. हालांकि सरकार ने भी इससे निपटने के लिए कई कदम उठाये हैं. लेकिन अभी पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो पाया.
उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों और एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में धान की पराली जलाने की घटनाएं चिंता का विषय हैं और इससे एनसीआर में वायु की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, खासकर अक्टूबर और नवंबर के बीच की अवधि में. पीआईबी के मुताबिक़ पिछले तीन सालों में पंजाब और यूपी में पराली जलाने की घटना बढ़ी है जबकि हरियाणा में कम हुई है.
धान अवशेष जलाने की घटनाएं (अवधि: 15 सितंबर- 18 नवंबर)
पंजाब | हरियाणा | उत्तर प्रदेश (एनसीआर ) | ||||||
2022 | 2023 | 2024 | 2022 | 2023 | 2024 | 2022 | 2023 | 2024 |
48489 | 33719 | 9655 | 3380 | 2052 | 1118 | 72 | 108 | 192 |
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खाद में कार्बन तत्व की मात्रा 30% तक
Reliance Industry ने इस क्षेत्र में सराहनीय पहल की है. इस इंडस्ट्री में काम कर रहे अधिकारियों का कहना है कि हमारा मिशन ग्रीन एनर्जी को लेकर है. हम पराली से bio compress gas(BCG) बनाते हैं इसके अलावा कार्बन रिच खाद भी बनाते हैं.
उनका दावा है कि इस खाद में कार्बन तत्व की मात्रा 30% तक होती है, जो खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ा देगी. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ भारत के कई राज्यों में पराली बड़ा मुद्दा है, इससे न सिर्फ वायु प्रदूषण होता है बल्कि इसको जलाने से खेत में बहुत से उपयोगी सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं, लेकिन अगर इससे खाद तैयार की जाए तो ये आपके खेत को और बेहतर बना देती है. पराली प्रबंधन की दिशा में हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते. ऐसे में इससे दमदार खाद तैयार करना एक बड़ा कदम मन जा रहा है.
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