अब उत्तर प्रदेश में भी होगी खजूर की खेती, मिर्जापुर में बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

खजूर

उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना बना रही है. इसके तहत राज्य सरकार मिर्जापुर में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करेगी. सरकार के इस फ़ैसले से राज्य के किसानों को आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही इसके साथ ही यूपी खजूर उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर भी बनेगा.

योजना के तहत यूपी सरकार खजूर की खेती की शुरुआत विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र से करेगी. इस क्षेत्र से इसमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोवा, झांसी और ललितपुर शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़  भदोही, चंदौली, आगरा, मथुरा और अन्य जिलों में भी इसकी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इस सिलसिले में जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम ने इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी का शोध किया है. शोध के बाद पाता चला है कि  इन क्षेत्रों की मिट्टी और जलवायु खजूर की खेती के लिए अनुकूल है.

बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
योजना के तहत मिर्जापुर में खजूर की खेती के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा. यह केंद्र किसानों को उन्नत तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. रिपोर्ट में मुताबिक़ प्रदेश के उद्यान निदेशक डॉ. वीबी द्विवेदी ने बताया कि खजूर की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक सहायता देने पर भी विचार किया जा रहा है.

250 पौधे रोपने का लक्ष्य
रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग ने बुंदेलखंड में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान का प्रस्ताव दिया है. बांदा जिले की जलवायु खजूर पिंड की खेती के लिए एकदम उपयुक्त बताते हुए फिलहाल 250 पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हर पेड़ से 15-20 हजार रुपये सालाना आमदनी बताते हुए कहा गया है कि पिंड खजूर के टिश्यू कल्चर पौधे किसानों को स्वयं खरीदने होंगे.

ये भी पढ़ें – चीनी उत्पादन 15% घटकर लगभग 27-27.2 मिलियन टन होने का अनुमान

किसानों को होंगे ये फायदे
खजूर की खेती किसानों के लिए कई फायदे लेकर आएगी. यह एक ऐसा फल है जिसकी बाजार में अच्छी मांग है और इसे लंबे समय तक स्टोर भी किया जा सकता है. किसानों को इसके बेहतर दाम मिलने की संभावना है. विशेषज्ञों का कहना है कि किसान खजूर की खेती के साथ-साथ सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में और वृद्धि हो सकती है.

38 प्रतिशत खजूर का आयात
खजूर की खेती किसानों के लिये लाभकारी इसलिए भी सिद्ध होगी क्योंकि भारत में खजूर की माँग ज़्यादा है और उत्पादन कम. इसीलिए भारत भारत दुनिया का सबसे बड़ा खजूर आयातक देश है, जो वैश्विक बाजार का लगभग 38 प्रतिशत खजूर अकेले आयात करता है. यानि देश में खजूर की खेती का दायरा लाखों हेक्टेयर बढ़ाये जाने की जरुरत है.

ये भी पढ़ें – क्या है ‘पीएम धन धान्य’ योजना? 1.7 करोड़ किसानों को मिलेगा इसका फायदा


भारत में खजूर की खेती
भारत में खजूर की खेती की बात करें तो गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों के अलावा तमिलनाडु में इसकी बागवानी होती है. देश में खजूर की हवाली, मैडजूल, शामरान, जाहिदी, खलास, जगलूल, सेवी, बरही, खुनीजी, खदरावी किस्में प्रचलित हैं. लेकिन कच्छ के खजूर सबसे खास माने जाते हैं. कच्छ के देशी खजूर,  यानि कच्छी खरेक को जीआई टैग भी मिला हुआ है.

पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ी भूमिका
खजूर की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी काफी जरूरी है. खजूर के पौधे सूखा-प्रतिरोधी होते हैं और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करते हैं. जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश में खजूर की खेती को एक बड़ा कदम बताया है. उनका कहना है कि खजूर की खेती से राज्य के किसानों को एक स्थायी आय का स्रोत मिलेगा. साथ ही, राज्य को खजूर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा.

खजूर की खेती का वीडियो देखें –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *