केंद्र सरकार ने तुअर दाल की क़ीमतों पर अंकुश लगाने और मार्केट में सप्लाई को बनाये रखने के लिए इसके शुल्क मुक्त आयात को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है. हाल की कुछ गिरावटों के बावजूद, तुअर की खुदरा कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. इस उपाय का उद्देश्य कम घरेलू उत्पादन के प्रभाव को दूर करना और चल रही खाद्य मुद्रास्फीति चिंताओं के बीच पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करना है.
सरकार ने तुअर/ अरहर के लिए मुफ्त आयात नीति को एक और साल के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 कर दिया है. इसकी जानकारी विदेश व्यापार महानिदेशालय ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. पहले की नीति शर्त के अनुसार, तुअर के लिए शुल्क मुक्त आयात अवधि 31 मार्च, 2025 तक थी.
पिछले साल तुअर, उड़द और चना जैसी दालों की आपूर्ति में कमी के कारण कीमतों में उछाल आया था. घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने तुअर, उड़द और मसूर के लिए शुल्क मुक्त आयात नीति को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया था. तुअर के शुल्क मुक्त आयात में इस संशोधन से सप्लाई में वृद्धि होने की उम्मीद है.
तुअर की MSP ₹7550 प्रति क्विंटल
कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस समय तुअर की कटाई चल रही है। नई फसल की आवक के साथ मंडी में कीमतें कम हो गई हैं और MSP के स्तर से नीचे चल रही हैं। केंद्र ने खरीफ 2024 मार्केटिंग सीजन के लिए ₹7550 प्रति क्विंटल का MSP घोषित किया है।
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चना और मसूर का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद
कीमतों में उछाल के बाद, सरकार उपभोक्ताओं के लिए सामर्थ्य सुनिश्चित करने और स्थिर मूल्य व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों और उपलब्धता पर बारीकी से नज़र रख रही है. खाद्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा कि अच्छी बुवाई और अनुकूल मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति के कारण चना और मसूर का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है.
आपको बता दें कि सरकारी आँकड़े के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, तुअर का उत्पादन लगभग 35.02 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 34.17 लाख टन उत्पादन से लगभग 2.5 प्रतिशत अधिक है.
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31 मार्च, 2025 तक चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति
पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 20 फरवरी, 2025 तक दी गई है, जबकि चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 31 मार्च, 2025 तक दी गई है ।
भारत ब्रांड के दलों की क़ीमतें कम
दालों की खुदरा कीमतों पर सीधा असर डालने के लिए सरकार ने भारत ब्रांड के तहत चना दाल, मूंग दाल और मसूर दाल की बिक्री जारी रखी है और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और संगठित खुदरा शृंखलाओं के साथ नियमित बातचीत की है। सरकार ने हाल ही में कहा कि इन उपायों से जनवरी, 2024 में सीपीआई दालों की मुद्रास्फीति दर को 19.54 प्रतिशत से घटाकर दिसंबर, 2024 में 3.83 प्रतिशत करने में मदद मिली है।
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