लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। जहां एक ओर गांवों की बड़ी आबादी पलायन कर शहरों में नौकरी की तलाश कर रही है, वहीं शहरों में पढ़े-लिखे युवा आधुनिक तरीकों से बाजार की मांग के अनुसार फसलें उगा कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। लखनऊ के शुभम द्विवेदी, जिन्होंने एमबीए एग्री बिजनेस मैनेजमेंट किया, अब अपने गांव में रंगीन शिमला मिर्च की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
न्यूज़ पोटली से बातचीत में शुभम बताते हैं कि, “मैं आधे एकड़ में लाल और पीली शिमला मिर्च की खेती करता हूं। मुझे 7-8 महीनों में 35-40 टन शिमला मिर्च का उत्पादन मिलता है। इस वक्त बाजार में रेट 250 रुपये किलो है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहता। अगर औसतन 100 रुपये का रेट भी मिले, तो 14-15 लाख रुपये की आमदनी होती है, जिससे मुझे लागत निकालकर लगभग 10-11 लाख रुपये का मुनाफा होता है।”
शुभम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके के धौरा गांव के निवासी हैं, जो जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर रायबरेली रोड के पास स्थित है। शुभम के खेत उनके घर से सटे हुए हैं, जहां वह 3 एकड़ जमीन पर अपनी खेती करते हैं। उन्होंने 2019 में आधे एकड़ में पॉलीहाउस लगवाकर खीरे की खेती शुरू की थी, लेकिन बाद में उन्होंने शिमला मिर्च की खेती करने का फैसला लिया। अब वह पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के साथ-साथ खुले खेतों में हरी शिमला मिर्च भी उगाते हैं।
ये भी पढ़ें : पपीता और हरी मिर्च की खेती से सालाना 80-90 लाख रुपए कमा रहा महाराष्ट्र का ये किसान
एमबीए के बाद कॉरपोरेट सेक्टर में जाने के बजाय खेती को करियर बनाने के सवाल पर शुभम कहते हैं, “हमारा परिवार खेती से जुड़ा है, लेकिन जिस प्रकार की धान-गेहूं वाली पारंपरिक खेती होती थी, उससे बहुत कम लाभ मिलता था। मैंने शुरू से ही यह ठान लिया था कि खेती करनी है, लेकिन पुराने तरीके से नहीं, बल्कि आधुनिक तरीके से। इसलिए कृषि की पढ़ाई की और फिर नैनी यूनिवर्सिटी से एग्री बिजनेस में एमबीए किया। वहां जो कुछ सीखा, उसे अपने खेत में उतारा, और अब अच्छा फायदा हो रहा है।”
इनकम के बारे में शुभम हंसते हुए कहते हैं, “अगर आप एमबीए करेंगे तो सीड-बीज वाली कंपनियां आपको फील्ड एग्जीक्यूटिव के रूप में रखेंगी, जिसकी सैलरी 15-30 हजार रुपये होगी। सीनियर बनने पर थोड़ी बढ़ जाएगी, लेकिन इससे कहीं ज्यादा मैं अपने घर में रहकर खेती से कमा रहा हूं।”
शिमला मिर्च की खेती कब और कैसे करें?
शुभम बताते हैं, “शिमला मिर्च की खेती के लिए एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है। यदि बिना पॉलीहाउस के खेती करेंगे, तो रंग और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा और उत्पादन भी कम होगा।”
शुभम आगे जोड़ते हैं कि रंगीन शिमला मिर्च के बीज काफी महंगे होते हैं, लगभग 10 रुपये प्रति पौधा। इसलिए उनकी देखभाल विशेष ध्यान से करनी होती है। पहले 20 दिन तक वह केवल ड्रिंचिंग करते हैं, इसके बाद ड्रिप इरिगेशन के जरिए पानी में घुली खाद और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं। रोग और कीटों से बचाव के लिए स्प्रे भी करना पड़ता है।
मार्केट के बारे में शुभम का कहना है: “यदि आप गुणवत्ता वाली शिमला मिर्च उगा रहे हैं, तो व्यापारी खुद आपको ढूंढते हुए आते हैं। खासकर लखनऊ में इसके चुनिंदा वेंडर हैं, जिन्हें यह पता होता है कि शहर के आसपास कौन-कौन एग्जॉटिक फसलें उगा रहा है। लेकिन दूर-दराज के किसानों के लिए मार्केट ढूंढना एक समस्या हो सकती है।”
ज्यादातर पॉलीहाउस 3-4 साल में बंद क्यों हो जाते हैं?
उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों का एक वर्ग मानता है कि पॉलीहाउस में खेती में बहुत लागत आती है और 3-4 साल बाद फायदा नहीं मिलता। शुभम के अनुसार, “मैंने 2019 में यह पॉलीहाउस लगाया था, आज पांच साल हो गए हैं। अब तो मैंने दूसरा ग्रीनहाउस भी लगवा लिया है, जिसमें खीरे की खेती करूंगा। समस्या फसल या पॉलीहाउस की नहीं, बल्कि किसान की समझ और जानकारी की है। ज्यादातर किसान पॉलीहाउस में लगातार एक ही फसल उगाते रहते हैं, जिससे मिट्टी में रोग फैल जाते हैं।”
शुभम के मुताबिक, वह हर साल 2 महीने के लिए मिट्टी को आराम देते हैं, सौर सौरीकरण (solar solarisation) करते हैं, यानी मिट्टी को जोतकर या पॉलीथीन से ढककर गर्मी से शोधित करते हैं। इससे कीट जैसे निमोटोड मर जाते हैं, और मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है।
शिमला मिर्च की खेती में कितना खर्च आता है?
शुभम के अनुसार, आधे एकड़ में पॉलीहाउस लगाने का खर्च लगभग 24 लाख रुपये आता है, लेकिन यदि आप सरकारी सब्सिडी योजना का लाभ उठाते हैं तो यह खर्च घटकर 12 लाख रुपये हो जाता है। इसके अलावा, शिमला मिर्च के बीज प्रति पौधा 8 रुपये में मिलते हैं और पौधा लगाने का खर्च 2 रुपये आता है। एक पॉलीहाउस में 6000 पौधे लगाए जाते हैं, जिससे 35-40 टन शिमला मिर्च का उत्पादन होता है।
फसल चक्र और मिट्टी को आराम जरूरी
मिट्टी में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होनी चाहिए। इसके लिए, गर्मी के दिनों में शुभम फसल समाप्त होने के बाद खेतों की जोताई करते हैं और गोबर की खाद तथा वर्मी कंपोस्ट डालकर खेत को पूरी तरह से पानी से भर देते हैं। उस समय लगभग 45 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है। इस दौरान वे पॉलीहाउस के पर्दे हटा देते हैं, जिससे तापमान 20-25 डिग्री तक बढ़ जाता है। सूरज की गर्मी से मिट्टी में रहने वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वराशक्ति बनी रहती है। साथ ही, मिट्टी की उर्वराशक्ति बनाए रखने के लिए फसल चक्र विधि से खेती करनी चाहिए। यदि आप पहली बार गेंदे या खीरे की खेती कर रहे हैं, तो दूसरी बार शिमला मिर्च की फसल लगा सकते हैं। इस तरह से खेती करने से मिट्टी के पोषक तत्व बने रहते हैं।
नेट और पॉली हाउस के लिए सरकार से मिलने वाली सब्सिडी:
उत्तर प्रदेश सरकार पॉली हाउस और नेट हाउस बनाने के लिए 50% सब्सिडी प्रदान करती है। साथ ही, पहले साल की फसल पर भी 50% सब्सिडी मिलती है। यदि आप पॉली हाउस विधि से खेती करना चाहते हैं, तो आप नजदीकी कृषि अधिकारी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, बैंक भी इस विधि के लिए लोन प्रदान करती है।
खेती और किसानी की रोचक जानकारियों के लिए न्यूज पोटली के YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।