ब्लैक पोटरी के काम से बन गया नाम

black pottery work in azamgarh

सरकार की ODOP स्कीम के तहत बैजनाथ ने 10 लाख रुपये का लोन लिया और ब्लैक पोटरी के काम को नया आयाम दिया।

आजमगढ़: बैजनाथ प्रजापति जो आजमगढ़ के पास निजामाबाद के रहने वाले हैं, पेशे से एक कुम्हार हैं और अपनी ब्लैक पॉटरी के लिए देश में अपना नाम बना चुके हैं। वो बचपन से ही मिट्टी का काम कर रहे हैं और उसी तरह अपने बच्चो को भी पढ़ाने के साथ मिटटी का काम भी सीखा रहे हैं।

बैजनाथ प्रजापति के शोरूम रखे मिट्टी के बर्तन

भारत सरकार की एक पहल ODOP (one district one product) के तहत उनका मिट्टी के बर्तन का काम और बढ़ गया। वो अब बहुत से काम मशीन से करने लगे हैं जिससे न सिर्फ उनके काम में तेजी आयी है ब्लकि लोगो को रोजगार देने में भी सफल हुए हैं।

मिट्टी के ये बर्तन देखने में जितने खूबसूरत हैं। इनका इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए भी उतना ही फायदेमंद है। नक्काशीदार ये बर्तन और सजावटी सामान ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में आजमगढ़ और निज़ामाबाद को एक अलग पहचान दिलाते हैं। ब्लैक पॉटरी के बिज़नेस को तब और उड़ान मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की लोककला को बढ़ावा देने की ठानी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले गिफ्ट्स की लिस्ट में इसको शामिल किया, कोरोना काल ने तो इसकी असल अहमियत ही समझा दी।

ब्लैक पोटरी पर न्यूज़ पोटली की रिपोर्ट

ब्लैक पॉटरी का चयन सरकार की छोटे उद्योंगों को बढ़ावा देने वाली स्कीम वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत भी हुआ है। उसके बाद से काली मिट्टी से बने उत्पादों की मांग देश ही नहीं विदेश में तेजी से बढ़ी है।

उत्तर प्रदेश के बैजनाथ प्रजापति मिट्टी के उत्पादों के इस कारोबार में बचपन से लगे हैं उनसे पहले पिता-दादा भी यही काम करते थे। बैजनाथ ने न्यूज़ पोटली को बताया कि कैसे बदलते वक्त के साथ उनके काम करने के तरीका बदला है और इस कारोबार ने उनकी जिंदगी बदल दी।

बैजनाथ प्रजापति अपने शोरूम के अंदर

फेरीवाले से बढ़कर आज बैजनाथ प्रजापति ने निजामाबाद मार्केट में अपना एक शोरूम खोल लिया है। सरकार की ODOP स्कीम के तहत उन्होंने इसके लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया और अपने कारोबार को नया आयाम दिया। आज उनके काम में उनकी पत्नी पुष्पा प्रजापति भी हाथ बंटाती हैं। साथ ही 4 लोग हैं जो पर्मानेंट उनके साथ जुड़े

मुगल काल की सबसे खास कलाओं में काली मिट्टी के बर्तन बनाने की कला भी शामिल रही है। ये भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि निजामाबाद के कुम्हारों ने 300 साल पुरानी ब्लैक पॉटरी की कला को आज तक जीवित रखा है। उन्होंने इसे ना सिर्फ कला के रूप में बल्कि रोजगार के क्षेत्र में भी आगे बढ़ाया है।

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