हिमाचल के किसानों के लिए ख़ुशख़बरी, प्राकृतिक मक्के की ख़रीद ₹3000 प्रति कुंटल पर करेगी सरकार

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने किसानों से वादा किया है कि राज्य सरकार प्राकृतिक तरीक़े से उगाये हुए मक्के की खरीद के लिए 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की रेट से करेगी। प्राकृतिक खेती से पैदा होने वाली फसलें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होती हैं और इसमें खेती की लागत भी कम आती है। इस खेती को अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं तथा पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान दे सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। राज्य में प्राकृतिक खेती के जरिए उगाई गई फसलों के लिए अधिक MSP  देने की घोषणा की गई है। प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है और किसानों को उपज की अधिक कीमत देने के लिए कुछ फसलों पर MSP तय कर दी है। इस घोषणा के तहत मक्का फसल पर MSP 3000 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, जो सामान्य तरीके से उगाई गई मक्का फसल पर मिलने वाले MSP से काफी अधिक है। 
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य की अधिकांश जनता गांवों में रहती है। हमारा लक्ष्य इन गांवों को सक्षम और समृद्ध बनाना है। हम अपने बजट के माध्यम से दूध, गेहूं और मक्का फसल पर MSP लागू करके आम जनता की तरक्की सुनिश्चित कर रहे हैं। 


3000 रुपये प्रति क्विंटल की रेट से ख़रीद करेगी ATMA

हिमाचल सरकार के अधीन राज्य कृषि विभाग की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्के की खरीद के लिए 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के MSP की घोषणा की है।समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ परियोजना निदेशक ATMA, (बिलासपुर) तपिंदर गुप्ता ने रविवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मक्के की खरीद करेगी।

गाय खरीदने के लिए मिलेगा 33 हजार रुपये का अनुदान

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय खरीदने के लिए 33,000 रुपये का अनुदान मिलेगा, साथ ही गौशाला का फर्श पक्का करने के लिए 8,000 रुपये की सब्सिडी भी मिलेगी। प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। निदेशक ATMA, तपिंदर गुप्ता ने कहा कि प्राकृतिक खेती से पैदा होने वाली फसलें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होती हैं और इसमें खेती की लागत भी कम आती है। इस खेती को अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं तथा पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान दे सकते हैं।

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने बीते सितंबर में पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए दूध की कीमतों में बढ़ोत्तरी की घोषणा की है।राज्य के पशुपालकों को गाय के दूध के लिए 45 रुपये मिलेंगे, जो पहले 38 रुपये प्रति लीटर था। जबकि, भैंस के दूध के खरीद मूल्य को बढ़ाकर 55 रुपये प्रति लीटर किया गया है, जो पहले 47 रुपये प्रति लीटर था। 
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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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