बिहार के इन 12 जिलों में कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार दे रही है 50 फीसदी सब्सिडी

बिहार के 12 जिलों में कोल्ड स्टोरेज खोलने पर राज्य की नीतीश सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है। इसकी जानकारी बिहार कृषि विभाग ने सोशल प्लेटफार्म एक्स पर अपने आधिकारिक अकाउंट के जरिये शेयर किया है।

बिहार सरकार राज्य में कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सब्सिडी दे रही है। अभी जिन 12 जिलों में कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं, वहां नए कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए तीन वर्षों के लिए योजना लाई गई है। कोल्ड स्टोरेज के स्थापना के तहत नए कोल्ड स्टोरेज टाइप-1 एवं टाइप-2 की स्थापना पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है, यह सब्सिडी अधिकतम 17.50 लाख रुपये होगी।
बिहार के इन जिलों जैसे औरंगाबाद, अरवल, नवादा, जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, बांका, जमुई, सहरसा, मुंगेर, शिवहर और मधुबनी में कोल्ड स्टोरेज नहीं है। हालांकि, अभी राज्य में कुल 202 कोल्ड स्टोरेज हैं।


मिलेगी 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी 

राज्य के सुदूर क्षेत्रों में भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण फल एवं सब्जियां बहुतायत मात्रा में खराब हो जाती हैं। उसके लिए सौर ऊर्जा आधारित सोलर पैनल माइक्रो कूल चैंबर, जिसकी भंडारण क्षमता 10 मीट्रिक टन है, की योजना स्वीकृत है। इस इकाई की अनुमानित लागत (25 लाख रुपये) का 50 प्रतिशत (अधिकतम 12.50 लाख रुपये) अनुदान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पुराने शीत-गृहों के आधुनिकीकरण, भंडारण क्षमता का विस्तार, कोल्ड चेन के माध्यम से फल एवं सब्जियों के परिवहन हेतु रीफर वैन, फलों को पकाने हेतु राइपेनिंग चैंबर की स्थापना पर 35 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ताजे फलों एवं सब्जियों की पैकिंग हेतु आन फार्म पैक हाउस की स्थापना पर 50 प्रतिशत (अधिकतम दो लाख रुपये) अनुदान दिया जाएगा।


राज्य में अभी 202 कोल्ड स्टोरेज 

देश में फल व सब्जी के उत्पादन में बिहार क्रमश: आठवें और चौथे स्थान पर है। यहां फल का वार्षिक उत्पादन 5059 हजार मीट्रिक टन और सब्जी का 18021 हजार मीट्रिक टन है। बिहार देश का तीसरा बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। यहां वार्षिक उत्पादन लगभग 9075 हजार मीट्रिक टन है।

फल-सब्जी को संरक्षित रखने के लिए बड़ी संख्या में शीत-गृह एवं कोल्ड चेन की आवश्यकता है। अभी कुल 202 शीत-गृह कार्यरत हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता लगभग 1230176 मीट्रिक टन है। नए शीत-गृहों से भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी। राज्य में अभी कार्यरत 50 शीत-गृहों का संचालन सौर ऊर्जा से करने की योजना है।
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