मिजोरम में सूअर पालने वाले किसानों पर जारी एक मुसीबत ने तकरीबन 800 करोड़ रुपए का नुकसान कराया है. मिजोरम की राज्य सरकार ने ये जानकारी राज्य विधानसभा में दी है. पशुपालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री सी लालसाविवुंगा ने बताया कि राज्य में 2021 से अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) के प्रकोप के कारण सुअर पालकों को लगभग 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
विधानसभा में एक सवाल के जवाब में लालसाविवुंगा ने कहा कि मार्च 2021 से 15 अगस्त 2024 के बीच एएसएफ से 57,217 सूअरों की मौत हो गई और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए 43,159 अन्य सूअरों को मार दिया गया. इसी की वजह से सुअर पालन करने वाले किसानों को 799.68 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. मिजोरम में इस साल जनवरी से 15 अगस्त तक अकेले अफ्रीकी स्वाइन फीवर के कारण 9,866 सुअर की मौत हो गई और 17,977 सुअरों को मार दिया गया, जिससे 239.45 करोड़ रुपए का अतिरिक्त नुकसान हुआ.
क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, अफ्रीकी स्वाइन फीवर सुअर को सबसे ज्यादा नुकसान देने वाली एक संक्रामक और घातक वायरल बीमारी है. इसके वायरस को पहली बार 1921 में पहचाना गया था, जब पूर्वी अफ्रीका में इस बीमारी सूअरों की प्रजाति को तबाह कर दिया था.
सरकार के प्रयास
मिजोरम की राज्य सरकार ने इसी साल एक जनवरी को अफ्रीकी स्वाइन फीवर को आपदा घोषित किया है. प्रशासन प्रकोप रोकने की तैयारी में है और केंद्र सरकार भी इस स्थिति से निपटने के लिए मिजोरम को कई बार मदद कर चुकी है. हालांकि इन कोशिशों के बावजूद अभी भी ये बीमारी जस की तस बनी हुई है. वायरस जनित इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पड़ोसी राज्यों और देशों से सुअर और पोर्क उत्पादों के आयात पर मई में पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था, ये बैन राज्य में अभी भी लागू है.
विकल्प क्या?
इसी बीमारी के वजह से मिजोरम का मीट प्रोडक्शन लगातार घटता जा रहा है. ताज़ा आंकड़ों के अनुसार मिजोरम में हर महीने ही लगभग चालीस लाख किलोग्राम पोर्क यानी सूअर के मांस की खपत होती है. सूअरों में फैली बीमारी की वजह से पोर्क के स्थानीय आयात पर बैन लगा दिया गया है. इसी बैन के कारण वहाँ के व्यापारी महाराष्ट्र के पुणे से पोर्क प्रोडक्ट्स मंगा रहे हैं. ऐसे में लोगों को पोर्क की महंगाई बढ़ने का भी खतरा दिख रहा है.