आलू के बढ़ते दाम इन दिनों आम आदमी की बहस का विषय बन गए हैं . आलू की कीमतें जब बढ़नी शुरू हुई तभी पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ने एक फैसला लिया कि अगली सूचना तक राज्य में पैदा हुआ आलू किसी अन्य राज्य में नहीं बेचा जाएगा. फैसला बेशक इसलिए हुआ हो ताकि पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए आलू महंगा ना हो लेकिन देश के बाकी हिस्सों में ये बहुत भारी पड़ा. तमाम आलू व्यापार संगठनों ने ममता के इस फैसले का विरोध किया. हालांकि तब तो नहीं लेकिन अब ममता बनर्जी ने अपने इस फैसले को वापस ले लिया है. नए फैसले के मुताबिक अब पश्चिम बंगाल के किसान और व्यापारी राज्य के बाहर भी आलू बेच सकेंगे.
बैठक में लिया फैसला
दरअसल कल यानी बीते मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ पश्चिम बंगाल के प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ और कोल्ड स्टोरेज संघ और आलू के कारोबार में अन्य स्टेकहोल्डर्स की बैठक थी. इस बैठक में सबके पक्ष को सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने अगले एक सप्ताह में दो लाख मीट्रिक टन आलू निर्यात करने की अनुमति दे दी है. जून में आलू की कीमतों में उछाल के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने दूसरे राज्यों को आलू निर्यात पर रोक लगा दी थी. इस निर्णय से नाराज आलू व्यापारियों ने उस महीने कुछ दिनों तक हड़ताल भी की थी. कृषि मार्केटिंग मंत्री बेचाराम मन्ना ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि उत्तर और दक्षिण बंगाल से एक-एक लाख मीट्रिक टन आलू निर्यात किया जा सकता है. हालांकि, जिन राज्यों को आलू की जरूरत है, उन्हें खुद ही बताना आगे आना पड़ेगा. मंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के बाद राज्य में निर्यात से मूल्य पर पड़ने वाले असर की समीक्षा की जाएगी.
सस्ता होगा आलू
देश के कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश ने आलू की फसल को बहुत बुरे तरीके से प्रभावित किया था. हालत ये हो चुकी थी कि बड़ी मात्रा में आलू उपजाने वाला उत्तरप्रदेश भी इस बार आलू उत्पादन के मामले में सिमट गया. परिणामस्वरूप उत्तरप्रदेश हो या देश की राजधानी दिल्ली आलू की कीमतें 40 से पचास रुपए तक पहुँच चुकी हैं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश ओडिशा और त्रिपुरा जैसे कई राज्य हैं जिन्हें आलू की जरूरत है. ये राज्य लंबे समय से उन राज्यों के साथ संपर्क में थे जहां इस साल आलू की फसल अच्छी हुई है, ताकि आलू खरीदकर डिमांड और सप्लाई को एक बराबर किया जा सके और महंगाई नियंत्रण में आए. अब पश्चिम बंगाल के इस फैसले के बाद ये कहा जा सकता है कि इन राज्यों को ऐसा करने में मदद मिलेगी. और ये राहत केवल वहाँ की सरकारों के लिए नहीं बल्कि वहाँ के आम आदमी को भी होगा क्योंकि ऐसा अनुमान है कि पश्चिम बंगाल के इस फैसले के बाद देश के बाकी हिस्सों में आलू की कीमतें भी कम होंगी.