धान खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है। और देश के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती होती है। उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। प्रदेश में इस समय किसानों ने बड़े स्तर पर धान की फसल लगाई हुई है। लेकिन, अब कई जगह किसानों के सामने फसल में बकानी रोग लगने की समस्या आ रही है। राज्य के कृषि विभाग ने फसल को इस रोग से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है।
कासगंज जिले में जब कृषि विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण किया तो कुछ जगह फफूंद जनित बकानी रोग का धान की फसल पर प्रकोप देखने को मिला है। कासगंज के जिला कृषि अधिकारी डॉ अवधेश मिश्र बताते हैं कि इस रोग का प्रकोप मुख्य रूप से धान की तीन प्रजातियों पर देखने को मिलता है। बासमती 1692, पूसा बासमती 1509 और पूसा बासमती 1718 प्रजाति। डॉ अवधेश ने इस रोग के लक्षण और उपाय बताएँ है, पढ़िए
ये भी पढ़ें -पंजाब में चावल का स्टोरेज बना बड़ा सिरदर्द, धान उत्पादन बढ़ेगा लेकिन बिकेगा कहाँ
बकानी रोग के लक्षण
फसल में रोग के लक्षण के बारे में डॉ अवधेश बताते हैं कि बासमती धान में यह रोग लगने पर प्रभावित पौधा अन्य पौधों की तुलना में अधिक लंबा हो जाता है। इस पौधे की ऊपर की पत्ती की लंबाई बहुत अधिक और संरचना तलवार जैसी नुकीली हो जाती है। मुख्य तने पर गांठ बन जाती है और इस पौधे में धान की बाली नहीं बनती। इस रोग से प्रभावित पौधों की जड़ें फूल जाती हैं और इसमें गांठ के ऊपर सफेद रेशे निकल आते हैं। यहीं से पौधा सड़ने लगता है और अंत में सूख जाता है।
फसल को रोग से बचाने का उपाय
फसल को इस रोग से बचाने के लिए डॉ अवधेश बताते हैं कि जिन पौधों में बकानी रोग लग गया है उन्हें खेत से निकालकर गढ्ढे में दबा दें। ऐसा करने से अन्य पौधों को इस रोग की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
वो बताते हैं कि एक एकड़ क्षेत्र में तीन किलोग्राम ट्राइकोडर्मा, 500 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल और 20 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 150 से 200 लीटर पानी में घोलकर धान की जड़ों में छिड़काव करें। और उन्होंने बताया कि विकास खंडों पर स्थित राजकीय कृषि रक्षा इकाइयों पर ट्राइकोडर्मा 75 फीसदी अनुदान पर मिलती है। किसान रोग से प्रभावित खेत में यूरिया का प्रयोग कम करें और धान के खेत की लगातार निगरानी करते रहें।
DSR विधि से धान की बुआई –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।